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पता नहीं आजकल योग गुरु बाबा राम देव को कैसा भ्रम हो गया है की वह अपने सभी कार्यक्रमों में कुछ ख़ास वाक्य अवश्य कहते है——– ” देश से भ्रष्ठाचार मिटाना है ” अति उत्तम विचार , दूसरा ———“विदेशों में जमा काला धन वापस लाये सरकार और बड़े नोटों का प्रचालन बंद किया जाय ( मुद्रा वापस ली जाय )” —— बहुत ही सुन्दर विचार, तीसरी बात ———-” अगले दो वर्षों में देश से भ्रष्ठाचार नहीं मिटा तो मै अपनी राजनितिक पार्टी बनाऊंगा ” ——बाबा जी इसमे इतना सोंचने की क्या जरुरत है भ्रष्ठाचार इस देश से तो क्या पूरे ग्लोब से भी नहीं मिट सकता — फिर दो वर्षों का इन्तजार क्योंकर, ( काल करे सों आज कर आज करे सों अब| पल में परलय होई गी बहुरि करोगे कब ||) चौथी सबसे महत्वपूर्ण एवं दुखद बात यह कहते है कि ——-“मुझे कुछ होता है तो केंद्र सरकार जिम्मेदार होगी ” यह तो चकित करने वाली बात हैं बाबा को ऐसी असुरक्षा की हीन भावना आखिर क्योंकर होने लगी है | बाबा ! अपने आस – पास ही देखो क्योंकि जब साम्राज्य इतना बड़ा है तो उसमे आपके प्रतिद्वंद्वी भी अवश्य आस पास ही होंगे क्योंकि आजकल बाबा के आसपास ऐसे लोंगो (चंपुओं ) का जमवाड़ा है जो कभी दूसरी पार्टियों की सोभा बढ़ाये करते थे? वैसे भी साधू संत से किसी को क्या बैर? और एक लंगोटी और धोती के अतिरिक्त आपके पास कुछ भी नहीं है, कोई धन दौलत भी नहीं है आपके पास फिर आपको किससे खतरा है | पहले जब बाबा केवल योग ही सिखाते थे तो उनके के बायीं ओर हमेशा आचार्य बल किशन जी हुआ करते थे और वह योग कि विभिन्न मुद्रायें बताया करते नजर आते थे | उसके बाद जब बाबा ने आयुर्वेद के नुश्खे बताने शुरू किये तो वह उन पर विस्तार से चर्चा करते थे पर आज कल वह किसी भी कार्यक्रम में कही नजर नहीं आते अबतो नए नए विशेषज्ञ हैं बाबा की मण्डली में |
अगर बाबा को केंद्र की सरकार से अपनी जान को कोई खतरा है तो उसे साफ साफ अपने करोडो भक्तो को बताना चाहिए और देश कि सर्वोच्च अदालत में एस.एल.पी. दाखिल कर सुरक्षा की मांग करनी चाहिए | ऐसा नहीं करते है तो लोग यही समझेंगे कि उन्हें भी नेता होने से पहले नेताओं कि बीमारी के विष्णु या वायरस ने घेर लिया है (१)” छपास ” (२)”दिखास” और (३) “ताम झाम” अर्थात १- अखबारों, पत्रिकाओं, लेखो में छपना | २- टी.वी.’ मंचो आदि पर दिखना’ ३- आसपास सुरक्षा दस्तों या ब्लाक कैट कमांडो से घिरे रहना | बाबा जी तो अपने लिए दो सौ वर्षों के जीवन का दवा करते रहें हैं फिर ऐसी निराशा क्यों | जीवन के प्रति भय-भीत केवल निराश डिप्रेस व्यक्ति ही होता है बाबा जैसा दृढ इच्छा शक्ति का व्यक्ति नहीं करोडो लोंगो की आस्था के केंद्र बिंदु पर यह कैसा असुरक्षा का भय ?
हे ! ईश्वर इन बाबा को नेताओं कि बीमारी से बचाओ | एक धुधली सी किरण आस जो घोर अंधकार के बाद दिख रही थी उसे शक्ति प्रदान करो | वैसे तो केंद्र कि सरकार को चाहिए कि किसी भी अनहोनी घटना होने से पहले ही बाबा राम देव को कम-से-कम ब्लैक कमांडो का एक दस्ता अवश्य उपबल्ध कराये क्योंकि बाबा का जीवन भी राहुल गाँधी जैसे व्यक्तित्व से अधिक मूल्यवान है ? और करोडो भारतीय भी ऐसा ही समझते है कि, बाबा कि यह पेशबंदी केवल सुरक्षा लेने के लिए ही नहीं है? क्योंकि जब मन के अन्दर से कोई आवाज आती है तो उसका कुछ अर्थ होता है , अबसे 26 वर्ष पहले तत्कालीन प्रधान मंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने उड़ीसा की एक चुनावी रैली में सांयकाल 30 -10 -1984 को कुछ ऐसा ही कहा था और 31 -10-1984 की सुबह को उनके ही सुरक्षा कर्मी द्वारा गोलियों से भून कर हत्या कर दी गई थी | वास्तिविक खतरा क्या हो सकता है यह सब सरकारें जानती है ? अत: बाबा की सुरक्षा की ओर सरकार को ध्यान देना ही चाहिए ?
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