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अब अगर कोई यह सोंचे की पच्चीस बरस बीतने के बाद जब व्यक्ति बाप से दादा भी बन जाय, तो क्या उसके बिताये गए कष्ट दायक क्षण उसे वापस मिल सकते है क्या ? शायद नहीं आदरणीय अमिताभ जी का भी यही कहना है ? लेकिन सबसे आश्चर्यजनक तो यह बात है की एक बार फिर बोफोर्स का भूत बाहर निकालने की तैयारी हो रही है. लेकिन सात वर्षों तक टुकड़ों में पहले १३ दिन फिर ढाई वर्ष फिर साडे चार वर्ष तक लगातार सत्ता में रही भारतीय जनता पार्टी ने अपने शासन काल में कभी भी बोफोर्स के भूत को बहार निकालने की कोशिश ही नहीं की अब ढोल पीटने की तैयारी है लेकिन उसकी स्थिति ठीक वैसी ही है जैसी उस मूषक की हुई थी जो दुर्घटनावस् एक ऋषि की शरण में पहुँच गया था, एक ऋषि जो अपनी कुटिया के बहार एक वृक्ष के नीचे साधना में लीं थे तभी उनके ऊपर एक चूहा गिरा और उनके कपड़ों में छिप गया ऋषि ने ऊपर पेड़ के और देखा और पाया की यह चूहा एक चील का शिकार था जो उससे छुट गया है ऋषि ने दयावश उसे अपने पास रख लिया लेकिन १३ दिनों के बाद ऋषि ने देखा की चूहे का कष्ट और दुगना हो गया है उसके शिकार को कई जानवर उतावले थे तो ऋषि ने अपने मन्त्र कौशल से चूहे को बिल्ली बना दिया की चलो इसकी जान बच जायगी, इस प्रकार से दिन गुजरने लगे और १३ महीने बीत गए लेकिन उस बिल्ली बने चूहे का कष्ट फिर भी कम नहीं हुआ बिल्ली और कुत्ते का बैर जग जाहिर है कुछ इसी प्रकार के और कई जानवर इस जुगत में रहते थे की कब बिल्ली बहार निकले और वह उसका शिकार करे, लेकिन जब ऋषि जी ऐसा देखा तो उन्हें फिर उस चूहे पर दया आई और उन्होंने १३ महीने के बाद अपनी शक्ति से उस चूहे को बिल्ली से शेर बना दिया अब क्या था शेर तो शेर होता है जो जंगल का रजा भी कहलाता है इस प्रकार से उस शेर के दिन आराम से बीतने लगे साडे चार वर्षों के बाद एक दिन अचानक शेर ने अपने स्वभाव के अनुसार उन ऋषि महोदय के ऊपर ही हमला कर दिया फिर क्या था ऋषि ने कुपित हो कर उस शेर को श्राप दिया “पुनः मूषको भव !” इतना कहते ही वह शेर फिर अपनी औकात में आ गया अर्थात चूहा बन गया (अब यह तो उस ऋषि रूपी जनता/मतदाता पर निर्भर है कि कब उस चूहे का कायाकल्प करती है या नहीं भी करती ) लेकिन इसी कायाकल्प के लिए वे बेचारा शेर एक तांत्रिक की शरण में है कि तंत्र मन्त्र या किसी और उपाय से ही सही एक बार फिर कायाकल्प हो जाय लेकिन उलटे अपने नख और दन्त तुडवा चूका वह शेर ( उत्तर खंड में सत्ता गवां कर और पंजाब और उत्तर प्रदेश में अपनी संख्या कम करके ) किसी घायल के सामान ही है शायद अब २०१४ में ही जनता रूपी ऋषिएक बार फिर कृपा कर दे और वह दांत और नाखून तुडवा चूका शेर फिर शेर बन जाय लेकिन शायद ऐसा होना संभव नहीं है कम से कम बिल्ली वाली हालत जरूर बन सकती है ? परन्तु ये चूहे रूपी नेतागण शायद कभी नहीं समझंगे की जनता उसी ऋषि के समान है जो पाँच वर्ष तक अव्यवस्था के भ्रम जाल, महंगाई,और भ्रष्टाचार के बियाबान जंगल में केवल चिंतन ही करती है और चुनाव के समय ही अपनी शक्ति का उपयोग कर सकती है ? एसपी सिंह, मेरठ
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