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मिडिया में जो दिखता है वही बिकता है ? (चलता है)!!!!!! उसके बाद ??????

पाठक नामा -
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amir khan

भारत एक ऐसा विशाल देश जिसका अतीत इतना गौरवमयी जिस पर हम गर्व कर सके / इतिहास इतना पुराना और विस्तृत कि एक जन्म में उसका अध्यान असंभव सा ही है / परम्पराएं इतनी विभिन्नता भरी की दुनिया जिस पर रस्क करे / और भाषाएं इतनी कि गिनती करना भी आसान नहीं/ धर्म और जातियां इतनी कि याद रखना भी मुश्किल फिर भी हम एक हैं कैसा आश्चर्यजनक देश / लेकिन आज लगभग पैंसठ वर्षों कि स्वतंत्रता के बाद हम इतने काहिल और नकारा हो गए है कि न तो हमें दिखाई देता है और न सुनाई देता है यानि कि इस आधुनिकता कि दौड़ में हम और हमारा समाज पंगु हो गया है, इस लिए जब मीडिया में कुछ चलता है या दिखता है वही सब इस देश के नागरिकों को दिखता भी है और सुनाई भी देता है उसके अतिरिक्त कुछ नहीं . जब कोई बाबा हमें जीवन जीने की कला बताता या सिखाता है तो हम उसके पीछे ऐसे दौड़ते है जैसे बच्चा लालिपौप देख कर भागता है कारण कि हम अपने सामाजिक दायित्वों को ऐसे भूल गए है जैसे उन्हें किसी गड्ढे में दबा आयें हैं और अब जैसा जो कोई बताता है उसके पीछे ही चल देते हैं.इसीप्रकार से कोई साधू संत धूर्त किस्म का पाखंडी हमें बताता है कि मेरे पास आओ और इतना इतना पैसा मेरे बैंक में जमा करा दो मैं तुम्हे भगवान् कि कृपा से मालामाल कर दूंगा तो इसी समाज के लोग कृपा खरीदने के लिए उतावले हो जाते है और निर्मल बाबा जैसे धूर्त लोग इन्ही लोगो से करोडो रुपया ठग लेते है और मजे करते हैं. यह मुर्खता नहीं तो क्या है ? स्वामी राम देव कब से गला फाड़ फाड़ कर कह रहे है और लोगों को जागरूक कर रहे है कि देश में भ्रष्टाचार फ़ैल रहा है जिस कारण से काला धन विदेशों में जमा किया जा रहा है इसी कड़ी में श्री अन्ना हजारे भी आन्दोलन कर चुके है पर जब तक इनका आन्दोलन मीडिया में स्थान पाता रहा तो लगा कि देश में जनता जागरूक हो रही है लेकिन ५ राज्यों के चुनाव के नतीजे बताते है कि मीडिया में दिखाए गए विजुयल से समझ में आता है कि आन्दोलन उग्र था पर घूम फिर कर उन्ही पार्टियों का शासन हो गया जो विगत में बदनाम थीं . इसको क्या कहा जाय. जागरूक जनता या अंधी बैहरी जनता ?

हद तो तब होती है जब समाज में कुरीतियाँ फैलाने वाले सीरियल जिसमे ये ही नहीं पता कि एक आदमी कितनी शादियाँ करेगा या कौन सी स्त्री/ लड़की कितने विवाह तोड़ेगी या डान बनेगी बिना उद्देश्य के नाटक सीरियल सालों साल चलते रहते है समाज को कोई सन्देश देते हों या न देते हो कोई सरोकार नहीं न तो निर्मातों का और न ही सरकार का कारण कि पैसा आता है दोनों हाथों से ? हमारे देश में इस आधुनिकता कि चका चौंध में सामाजिक परम्पराएँ इतनी विकृत हो गई है जिसका परिणाम होता है कन्या भूर्ण कि हत्या जिसको माता और पिता जन्म लेने से पहले ही ऐसा निकाल कर फैंक देते है जैसे कुत्ते के शारीर से चिंचीडि / या फिर दहेज़ कि समस्या जहाँ किसी भी नव-विवाहिता को इस लिए क्रूरता पूर्वक मार दिया जाता है कि वह कम दहेज़ या सामान या रुपया पैस नहीं लायी है ? यह समस्या पुराणी नहीं केवल आजादी के बाद से विस्तृत हुयी है ? अब अगर कोई बात करे कि टी वी सीरियल के रूप में इस समस्या को उजागर करने से इस समस्या का समाधान हो जायगा तो यह उचित नहीं होगा लेकिन समस्याओं का अंत यहीं नहीं है समस्या तो इस देश में अनेक है जैसे ,जनसँख्या विस्फोट, पिने के लिए शुद्ध जल पोलियो के खात्मे के लिए प्रोग्राम एड्स की समस्या, प्राइमरी शिक्षा , स्वास्थ्य सुविधा जिन पर सामाजिक कर्ताओं और एन जी ओ को कर्म करना चाहिए ,

POPULATION-BABY/family plaaning

हमारे बहुत से ब्लागर भाई बहन आज कल आमिर खान के प्रोग्राम को किसी देवता कि सौगात मान कर आमिर खान से गुहार लगा रहे है क्या या उचित है ? शायद ब्लागर भाई बहन यह बात भूल चुकें है कि आमिर खान एक कलाकार ही है जो अपने पापी पेट के लिए किसी भी प्रकार का नाटक कर सकता है और उसको नाटक के बदले में एक शो के लिए तीन करोड़ रुपया भी मिलता है ? family planning for evey one मैं यहाँ एक बात विशेष रूप से कहना चाहूँगा कि जिन समस्याओं को आज टी वी पर उठाया जा रहा है इन प्रोग्रामों के द्वारा क्या यह समस्या नयी है शायद नहीं ? समाज उसके लिए जागरूक सरकार भी सचेत है रोज रोज कन्या भ्रूण हत्या में उपयोगी केन्द्रों पर छपे मारी भी हो रही है. ? मैं भी श्री आमिर खान का बहुत सामान करता हूँ उनके द्वारा बनाई गई फिल्मों के लिए जिसमे उन्होंने कई समस्याओं को उठाया था , population.आज हम देखते हैं कि अस्पताल हो या रेल हो या सार्वजानिक उपयोग के स्थल हो चरों और भीड़ भीड़ दिखती है इस लिए यह उचित होता अगर आमिर खान हमारे देश कि जनसँख्या विस्फोट कि समस्या पर कोई बात करते कोई प्रोग्राम बनाते क्योंकि जहाँ आज के इस आधुनिक युग में तीन तीन शादियाँ और अनगिनत बच्चे पैदा करना धार्मिक आधार पर उचित माना जाता है और इसके लिए किसी भी प्रकार का व्यवधान सहन नहीं किया जाता अब चाहे वह सरकारी परिवार नियोजन ही हो उसका धर्म का नाम पर विरोध किया जाता है /poliyo और जहाँ स्वास्थ्य के लिए भी धर्म आड़े आ जाता है क्योंकि धर्म विशेष के समुदाय में बच्चों को पोलियों ड्राप्स भी पिलाना धर्म से जोड़ दिया जाता है इसलिए मेरा अनुरोध है श्री आमिर खान से कि एक ख़ास वर्ग के लोगों से कहते कि परिवार नियोजन को अपनाओ और कम बच्चे पैदा करो या केवल एक ही शादी करो मेरा विचार है कि शायद वह ऐसा चाह कर भी नहीं कर सकते क्योंकि वहां उनके लिए धर्म संकट पैदा हो जायगा वह इस लिए कि धर्म आड़े आ जायेगा और वह अपने धर्म के विरुद्ध कोई कार्य नहीं कर सकते तो क्या यह देश भक्ति का नमूना है कि” मीठा मीठा गप और कडवा कड़वा थू “मेरे विचार से किसी भी देश भक्त को अगर कोई कार्य करना है तो वह धर्म और जाति से ऊपर उठकर ही किया जाय तो देश भक्ति कहलायेगा अन्यथा यह ऐसा ही कार्यकर्म है जैसा पहले राजा महाराजाओं के समय में भांड किया करते थे और बदले में राजा कि कृपा से धन दौलत पाया करते थे ? इसलिए आमिर खान से मेरी जुगारिश है कि वह आज की जवलंत समस्या जनसँख्या विस्फोट एक ख़ास समुदाय के बच्चों के लिए पोलिओ ड्राप्स के विषय में कार्य-क्रम बनाए तो देश बहुसंख्यक लोगों को उन पर गर्व होगा ? अन्यथा उनको यह इमोशनल ड्रामा बंद कर देना ही उचित होगा ?? धन्यवाद.

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