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ऐसा लगता है की टीम अन्ना भ्रष्टाचार के विरुद्ध जंग नहीं लड़ रही अपितु किसी परीक्षा में बैठ कर परीक्षा पास करने के बाद किसी जॉब मिलने की आशा में कुछ भी करने की चाहत है जिसके लिए परीक्षा पास करना ही उसका उद्देश्य है अब परीक्षा फेयर या अनफेयर किसी भी तरीके से पास की जाय सब चलता है इसी कारण भारत में प्रचलित मर्यादा का उल्लंघन करने की भी कोई सीमा नहीं, जिस प्रकार से टीम के एक सदस्य प्रशांत भूषण ने जो एक प्रख्यात वकील है प्रधान मंत्री को सिखंडी करार दे दिया, भाई प्रशांत भूषण जी भारत में आज जैसा भी तंत्र है वह लोक तंत्र है जिसमे एक प्रक्रिया के अंतर्गत सारा राज काज चलता है, इस लिए प्रधान मंत्री जो देश का प्रतिनिधित्व करता है उसके लिए अमर्यादित शब्दों का प्रयोग अगर न किया जाय तो उचित ही होता ? इस लिए यह शब्द आप अपने पिता श्री के लिए नहीं प्रयोग कर सकते तो दूसरों के लिए क्योंकर, क्या आपको पता है आपके पिता श्री ने दस वर्षों की कमाई केवल एक सौ दस करोड़ रुपयाsha होना बताया था तो यह कमाई क्या किसी धार्मिक कृत्या से या कीर्तन करने से प्राप्त हुई थी इसमें कितना पैसा इमानदारी की कमाई का है जरा देश को हिसाब लगा कर बताएं — और इलाहबाद में जो स्टाम्प चोरी के केश में आपके पिता श्री पर एक करोड़ ३४ लाख का जुर्माना लगा है वह भी क्या कोई धार्मिक कृत्य है आपके परिवार को ताज कारीडोर के मुकद्दमे के फलसरूप जो १०-१० हजार वर्ग मीटर के नॉयडा में कम कीमत पर जो दो प्लाट मिले है वह भी कोई धार्मिक कृत्य है क्या यह भ्रष्टाचार की श्रेणी से परे है परन्तु आप चाह कर भी कुछ नहीं बोल सकते क्योंकि आपको और आपकी टीम को अपने किसी गुप्त आका के लिए केवल परीक्षा पास करनी है ? आन्दोलन और सरकारों का आना जाना सतत चलता रहेगा क्योंकि यह लोकतंत्र का नियम है और जरूरी भी है लेकिन मर्यादाओं का पालन हमारी सांस्कृतिक विरासत है जिसको संभाल कर रखना और संजोना वर्तमान पीढ़ी के नेताओं और आन्दोलनकारियों का परम कर्तव्य है जिसका पालन बिना किसी नियम और कायदे के भी किया जाना जरूरी है और वाणी पर सयंम उससे भी जरूरी है ऐसा मेरा अनुरोध है ? धन्यवाद. —– एसपी सिंह , मेरठ
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