Menu
blogid : 2445 postid : 698

कितने करोड़ के ! कितने बाबा !! – मुंशी इतवारी लाल का बाबा दर्शन

पाठक नामा -
पाठक नामा -
  • 206 Posts
  • 722 Comments

हमारा भारत विभिन्न धर्मावालाम्वियों के समूह का एक संगम है सभी धर्मों के अपने अपने धर्मगुरु और करोड़ों की संख्या में उनके अनुयायी भी हैं. मगर हम आज के सन्दर्भ में उपज आई कुरीतियों/ आडम्बर की बात केवल हिन्दू धर्म और उसके अनुयायीओं के विषय में करे जो आज उसके समक्ष राक्षस के समान खड़ी है ? इसविषय में मुंशी इतवारी लाल का अपना ही नजरिया है प्रस्तुत है उनके विचार :
जैसा की विदित ही है की हमारे मित्र मुंशी इतवारी लाल हमारे पास जब भी आते है इतवार को यानि सन्डे छुट्टी के दिन, लेकिन पिछले ६ माह में वह एक बार भी नहीं आये परन्तु अचानक पिछले इतवार को जब वह आये तो हम उनको कतई नहीं पहचान पाए कारण यह था की इस बार उनका हुलिया ही बदला हुआ था चेहरे पर सफ़ेद झक दाढ़ी सर पर बड़े बड़े बाल, सूखे चेहरे और पिचके हुए गालों के स्थान पर भरा हुआ चेहरा और मोटे मोटे भरे हुए गाल आँखों पर सुन्दर सा चस्मा, और सबसे चौंकाने वाली बात यह की वस्त्र भी गेरुवे कुरता और धोती, मैं तो उन्हें देख कर ही हैरान हो गया लेकिन फिर जब ध्यान से देखा तो जाना कि यह तो अपना यार मुंशी है ? हम बोले —“आओ मुंशी जी प्रणाम, यह क्या हुलिया बना रखा है क्या कहीं से दीक्षा विक्षा ले ली है ?”
मुंशी जी ने भी आशीर्वाद कि मुद्रा में दोनों हाथ उठाकर हमें आशीर्वाद दिया और बोले –“नहीं अभी तो दीक्षा नहीं ली है परन्तु कोई अच्छा सा गुरु मिला तो जरूर दीक्षा ले लूँगा ! और जब तक गुरु नहीं भी मिलता है तो क्या फर्क पड़ता है गुरु जरूरी तो है नहीं, आज कल सारा ज्ञान टी.वी और इन्टरनेट पर जो मिलता है “
हम बोले —“अगर दीक्षा नहीं ली है तो फिर साधुओं वाला वेश क्योंकर धारण कर लिया है, क्या पिछले ६ माह से कही किसी गुफा में तपस्या कर रहे थे जो तुम्हे दिव्य ज्ञान प्राप्त हो गया है जिस कारण से तुम्हारा कायाकल्प हो गया है कुछ तो बताओ मुंशी जी ” हमारे इस कथन को सुनने के बाद भडकने के स्थान पर मुंशी जी मंद मंद मुस्कराने लगे और बोले —” बेटा ठाकुर ! साधू वेश धारण करने की बात तो ऐसी है की देश में, दो ही वेश सुरक्षित हैं एक नेता का दूसरा साधू का इन दोनों में साधू का वेश तो सबसे अधिक सुरक्षित है नेता तो कभी कभी धो पोंछ भी दिया जाते हैं., इस लिए पिछले छै: माह से यही अभ्यास तो कर रहा था साधू बनने का – क्या तुम टी वी देखते है अगर देखते हो तो तुम्हे मालूम ही होगा की आज टी.वी पर कितने बाबा धर्म कर्म की बात करते है कितने प्रवचन करते हुए मिल जायंगे कितने योग की मुद्रा सिखाते नजर आते है कितने कलाकार (फिल्म एक्टर ) दवाइयाँ बेचते नजर आयेंगे और कितने निर्मल जीत सिंह नरूला ,उर्फ़ निर्मल बाबा (थर्ड आई ) बन कर जनता के कष्ट केवल टोने टोटके से किसी को समोसा किसी को रसगुल्ला और किसी साइकिल का सफ़र किसी को हवाईजाहज का सफ़र किसी को मजार की पूजा तो किसी काला पर्स रखने की सलाह देते है , कितने झोला छाप डाक्टर से कुमार स्वामी बन जाते है और बीज मंत्रो से इलाज ही नहीं गर्भ में पलते बच्चे को प्रधान मंत्री / डाक्टर /वकील बनाने का दावा भी करते है , कितने वशिष्ठ लाल किताब से भाग्य संवारते नजर आयेंगे , यह एब केवल हिंदुओं में ही हो ऐसा भी नहीं है एक ईसाई समाज के गुरु ,कोई दिनाकरण है जो प्रभु इसु से सीधा ही संवाद करने की बात करके अपने धर्म्वालाम्बियों को ठगते है .ये सब भारत की मध्यमवर्गीय जनता को मुर्ख बना कर करोडो ही नहीं सैकड़ों करोड़ रुपया बना रहे है ?” कोई टाट के कपडे पहनने वाले बाबा मरने के बाद हजारों करोड़ रुपया छोड़ जाते है चेलों के लिए — एक थे सत्य की मूर्ति भगवान् सत्य श्री साईं बाबा जो अपने भक्तो के लिए मन चाही वास्तु हवा में पैदा कर देते थे परन्तु धन का मोह उनका भी कम नहीं था तभी तो मृत्यु के बाद अरबों रूपये का खजाना उनके शयन कक्ष में मिला था ? “क्योंकि हमारी मध्यमवर्गीय जनता इतनी धर्मभीरु है की धर्म के नाम पर उसका धन दौलत ही नहीं उसकी जान भी ले लो तो उफ़ नहीं करती/ जिस कारण से आज भी पुरातत्व महत्त्व के मंदिरों में अरबों रूपये का खजाना भरा पड़ा है /” मुंशी जी तो रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे इतना कह कर फिर बोले — “इस काम में भारत में लोकतंत्र का चौथा खम्बा जिसको जनता की आवाज और जनता का रक्षक कहा जाने वाले माध्यम (इलेक्ट्रोनिक मीडिया ) भी इस लूट में शामिल ही नहीं अवैध कमाई में एक हिस्सेदार भी है ?” ऐरे गैरे किसी भी कृपा बेचने वाले का प्रचार ऐसे करते है की जनता को वह सब सच लगता है जबकि होता है वह प्रचार और इसी प्रचार के एवज में वह भी मोटी रकम झटक लेते है. इतना कह कर मुंशी जी थोडा रुके और पानी पिया – तो हम बोले—” बेटा मुंशी तुम बहुत दूर की कौड़ी लाये हो, कहीं तुम्हारा इरादा भी कुछ तो ऐसा करने का तो नहीं है /”
इतना सुनने के बाद मुंशी जी तुनक कर बहुत नम्रता से बोले— ” यार! ठाकुर , कुछ कुछ नहीं बहुत बड़ा इरादा है कुछ करने का / लेकिन इस में एक अड़चन है यह काम मैं अकेला नहीं कर सकता हूँ तुम तो जानते हो कोई भी कार्य एक अच्छे पर्बंधक के बगैर नहीं हो सकता इसलिए इस काम में मुझे तुम्हारी मदद की जरूरत है ! क्योंकि मैं जनता हूँ की तुम एक अच्छे पर्बंधक साबित होगे इस लिए जल्दी से हाँ करदो ? और हाँ सुनो मेरे पास अभी पैसा भी अधिक नहीं है रिटायर्मेंट बेनिफिट का जो भी पैसा है बस वही है , मैंने सब तैयारी कर रखी है पिछले छै माह से,करना कुछ भी नहीं है जनता को केवल बेवकूफ बनाने के लिए आप भव्य सिंहाशन पर बैठ कर कुछ भी आशीर्वाद दो बीमार को कुछ भी खाने सलाह देदो परेशान व्यक्ति को केवल थोड़ा सा आश्वाशन ही देदो तो उसे रहत मिल जाती और वैसे भी समय के साथ व्यक्ति की सारी समस्या स्वयं ही हल हो जातीं है इसमें नतो किसी दावा की जरूरत होती है और न किसी भी उपाय की केवल धैर्य की जरूरत होती है और वही धैर्य आजके आधुनिक युग में भागम भाग में किसी के पास है ही नहीं / मैं जानता हूँ की तुम्हारी मित्रता कुछ मिडिया वालो से है इस लिए पहले तो उनके स्टूडियों में कुछ शो का प्रबंध करा दो और कुछ लाइव चलवा दो, बस फिर उसके बाद देखना की किस प्रकार से रुपयों की वर्षा होगी की रूपये गिनने की मशीन मंगानी पड़ेगी !!”

हम बोले —” भाई मुंशी जी विचार और आइडिया तो तुम्हारा बहुत अच्छा है लेकिन अब उम्र के इस पड़ाव में मैं तुम्हारा साथ नहीं दे सकता, इसके लिए तुम्हे कोई और घर तलाश करना होगा- तुम स्वयं किसी चैनल वाले के पास क्यों नहीं चले जाते जब तुम यहाँ तक तैयारी कर ही चुके हो तो दो कदम और चल दो शायद तुम्हारी मंजिल तुम्हे मिल ही जाय. मैं तुम्हारी कोई सहायता नहीं कर सकता – जनता को, तो चुनी हुई सरकारें ही बहुत लूट रही है ?” इतना सुनने के बाद मुंशी जी तमतमा कर बोले –” सा ….ले …ठा …कु. रर…….मैं जानता था तुम— में ….रर……आ भला होता ….हुआ .. नाही देख सकते हो सा ……ले ……तुम ….चा …..ह……..ते ….. ही….. न…ही की मैं ………कुछ कमा सकू. ——–इतना कह कर मुंशी उठे और तेजी से अपने घर की ओर चल दिए और हम उन्हें देखते ही रहे की इस बुढापे में मुंशी जी को कमाई का शौक चर्राया है ? ——एस.पी.सिंह. –

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh