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शत-शत नमन कारगिल के शहीदों को !!!!!

पाठक नामा -
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kargil

कैसी विडम्बना है की हमें अपने घर में चोरी से घुस आये पडोसी को खदेड़ने के लिए अपने वीरपुत्रों /जांबाज सैनिकों की आहुति देनी पड़ी थी किस्सा अभी अधिक पुराना नहीं है

KASHMIR

केवल १३ वर्ष पूर्व जब श्री अटल बिहारी प्रधान मंत्री थे तो उन्होंने अपने पडोसी पकिस्तान से अच्छे सम्बन्ध बनाने के विचार से फरवरी १९९९ में बस द्वारा नई दिल्ली से लाहोर तक की एतिहासिक यात्रा की थी और इस युद्ध की नीवं उसी समय पड़ गई थी ? क्योंकि वहां का बदनाम जासूसी संघठन (आइ०एस०आइ०) जिसका रिश्ता वहां की फ़ौज के साथ जगजाहिर है यह कभी नहीं चाहता की पकिस्तान का गैर फौजी सिविल शासन भारत के साथ अच्छे सम्बन्ध कायम करे ! vijay इसी कारण इस बनते हुए अच्छे रिश्ते को बिगड़ने का मौका इस बदनाम संघठन को मिल गया हुआ यूँ कि कारगिल सेक्टर में हुआ कारगिल सेक्टर में एल ओ सी पर जब भयंकर रूप से बर्फ गिरती है तो अग्रिम सीमा चौकी पर तैनात हमारे फौजी निचले स्थानों पर चले आते है और इस प्रकार से पाकिस्तानी फौजी भी करते है और जब बर्फ पिघलती है तो फिर से अपने स्थानों पर पहुँच कर मोर्चे संभाल लेते है ? परन्तु १९९९ में इस बार ऐसा नहीं हो सका आई एस आई और फ़ौज ने मिल कर एक साजिस के तहत अपने फौजियों को मुजाहदीन के रूप में उन खाली चौकियों पर माकूल रसद और गोला बारूद के साथ तैनात कर दिया / जब भारतीय फ़ौज को इसकी जानकारी मिली तो कुछ समय तो फ़ौज ने ही इसको साधारण और बहुत हलके अंदाज में लिया चूँकि यह एक सामान्य धटना थी सरकार को जानकारी से अँधेरे में रखा गया लेकिन जब चारों और से मीडिया में खबरे आने लगी तो अनान फानन में कार्यवाही का ऐलान हुआ ; जो इस प्रकार है
DATE HISTORICAL इवेंट
May 3, 1999 एक बकरी चराने वाले ने भारतीय फ़ौज को इस प्रकार कि जानकारी दी.
May 5 जब भारतीय फ़ौज कि पेट्रोलिंग पार्टी जानकारी लेने वहां पहुंची तो पाकिस्तानियों ने उन्हें पकड़ लिया और उनमे से ५ फौजियों कि हत्या कर दी
May 9 पाकिस्तानियों कि भरी गोला बरी से भारितीय फ़ौज का कारगिल स्थित गोला बारूद का स्टोर बर्बाद हो गया
May 10 पहली बार द्रास काकसार और मुश्कोह सेक्टर में पाकिस्तानी घुसपैठियों कि उपस्थि देखी गई
Mid-May भारतीय फ़ौज को कश्मीर वैली से कारगिल सेक्टर के तरफ भेजा गया
atal
May 26 बहुत न नकुर के बाद भारतीय वायु सेना को कार्यवाही के लिए कहा गया
May 27 इस कार्यवाही में भारतीय वायु सेना के — MiG-21 and MiG-27;.मार गिराए गए और Flt Lt Nachiketa को बंदी बना लिया गया
May 28 एक IAF MI-17 पाकिस्तान द्वारा को मार गिराया गया और चार भारतीय फौजी मरे गए June 1 NH 1A पर पकिस्तान के द्वारा भरी गोला बरी कि गई
June 5 तीन पाकिस्तानी सैनिकों से प्राप्त कागजातों को भारतीय सेना ने अखबारों के लिए जरी किया जिसमे पाक सेना का शामिल होना प्रमाणित होता था June 6 अब भारतीय सेना ने जवाबी कार्यवाही पूरी ताकत से आरम्भ कर दी थे कारगिल में
June 9 जिस कारण से बाल्टिक क्षेत्र कि २ अग्रिम चौकियों पर भारतीय सेना ने पुनः कब्जा लिया था
June 11 भारत ने जनरल परवेज मुशर्रफजब वह चीन में थे और आर्मी चीफ लेफ्टीनेंत जनरल अजीज खान जो रावल पिंडी में थे उनकी बातचीत का रिकार्ड जरी किये जिससे पता चलता थे कि इस घुसपैंठ में आर्मी का हाथ है
June 13 भारतीय फ़ौज ने द्रास सेक्टर में तोलिंग पर पुनः कब्ज़ा किया
June 15 अमेरिकी प्रेसिडेंट बिल किलिंटन ने परवेज मुशर्रफ से फोन पर कहा कि वह अपनी फौजों को कारगिल सेक्टर से बहार बुलाये
June 29 भारतीय फ़ौज ने दो महत्त्व पूर्ण चौकियों को पुनः कब्जाया — Point 5060 and Point 5100 near Tiger Hill
July 2 अब भारतीय फ़ौज ने कारगिल पर तीन और से हमला किया
July 4 भारतीय फ़ौज ने ११ घंटे के घनघोर लड़ाई में Tiger Hill पर पुनः कब्ज़ा कर लिया
July 5 जैसे ही भारतीय फ़ौज ने द्रास सेक्टर पर पुनः कब्ज़ा किया पाकिस्तानी प्रधान मंत्री शरीफ ने तुरंत बिल किलिंटन से कहा कि वह कारगिल से अपनी फ़ौज को हटा रहें है.
July 7 भारतीय फ़ौज ने बटालिक में स्तिथ जुबर हिल पर कब्ज़ा किया
July 11 अब तो पाकिस्तानियों ने एक तरह से भागना ही शुरू कर दिया था बटालिक से
July 14 आज भारतीय प्रधान मंत्री श्री अटल बिहारी वाजपाई जी ने आपरेशन विजय कि सफलता पूर्वक जीत का ऐलान ही कर दिया था
July 26 दिन विजय दिवस के रूप में मनाये जाने का ऐलान किया गया क्योंकि इस दिन तक सभी धुसपैठियों से मुक्त क्षेत्र घोषित किया गया

पकिस्तान कि इस बेशर्म हरकत का केवल एक उद्देश्य था कि वह कारगिल से निकलने वाले एन एच १ को अपने कब्जे में कर ले और भारतीय फ़ौज कि सप्लाई लाइन को काट दे और फिर अन्तराष्ट्रीय दबाव के द्वारा कश्मीर समाश्या का हल खोजने कि बात करे ? लेकिन उसकी यह चाल एक तो भारतीय फ़ौज कि बहादुरी और कडाके कि ठण्ड ने उसकी मंशा पर पानी फेर दिया ? लेकिन यह भी एक त्रासदी है कि एक आई एस आई और पाकिस्तानी जनरल परवेज मुशर्रफ कि नादान हरकत के कारण भारतीय फ़ौज के ५२७ जवान शहीद हुए और १३६३ जवान गंभीर रूप से घायल हुए परन्तु उस समय कि भारत सरकार ने भी दिल खोल कर शहीद हुए जवानो के परिवारों कि भरपूर मदद एवं घायल जवानोका पुनर्वास भी किया ! लेकिन एक सवाल बहुत ही गंभीर और अनुत्तर ही रह गया कि युद्ध तो युद्ध होता है भारत कि उस समय कि श्री अटल बिहारी जी कि सरकार किस मर्यादा में थी कि युद्ध को एक सिमित क्षेत्र तक ही सिमित किये रखा गया जब की ऐसा कहा जाता है युद्ध और प्यार में नैतिक अनैतिक कुछ नहीं होता सब जायज होता है ? इस युद्ध को केवल कारगिल क्षेत्र तक सिमित करने में हमारे फौजियों को ही नुक्सान हुआ क्योंकि कारगिल कि भौगोलिक परिस्थिति के कारण हमारा दुश्मन उंचाई पर था और हम निचे जिस कारण हमारे बहुत से फौजी नाहक ही मारे गए ? यहाँ तक कि वायुसेना को भी बहुत देर में कार्यवाही के लिए बुलाया गया – ऐसा लगता था कि सेना में तालमेल ही नहीं है या राजनितिक हस्तक्षेप अधिक है जिस कारण से अनिर्णय की स्तिथि बनी हुयी थी ? चूँकि जब वायुसेना को काम सौंपा गया सफलता तभी मिली / हमारी राजनितिक बिरादरी को शायद इस बात का डर था कि हमारे पडोसी के पास परमाणु अस्त्र हैं अगर उसके पास परमाणु अस्त्र थे तो क्या उस समय हम खाली हाथ थे हमें डर किस बात का था – इस विषय पर बहुत विचार विमर्श और बहस हुई हैं लेकिन उसका कोई नतीजा नहीं निकला फ़ौज के द्वारा भी जो आकलन किया जाता है वह गोपनीय होता है और ५० वर्ष से पहले उसका खुलासा नहीं किया जा सकता इस लिए इस सिमित युद्ध का क्या मंतव्य था इसका ज्ञान जनता को सन २०४९ से पहले कभी नहीं हो सकता – परन्तु एक तथ्य जो झुठलाया नहीं जा सकता यह कि इस सिमित युद्ध और इसके द्वारा सैनिकों कि भरपूर मदद उस समय कि सरकार के द्वारा कि गई थी उसका लाभ अल्पमत वाली सरकार को तेरहवीं लोक सभा के चुनाव में भरपूर रूप में मिला और ५४५ के सदन में एन डी ए के ३०३ सदस्य जीते थे ? वैसे भी इस प्रकार के युद्ध के जो राज है वह राज ही रहेंगे क्योंकि इस युद्ध के दो जीवित महान राजनितिक व्यक्तित्वjarj आज इस स्तिथि में ही नहीं है कि इस विषय में कुछ खुलासा कर सके ? इस लिए इस युद्ध में शहीद हुए अनगिनित नौजवान फौजियों को शत शत नमन के साथ अश्रुपूरित श्रधांजलि एवं उनके परिवारी जनों को हृदय से सांत्वना एवं युद्ध में घायल फौजियों को जयहिंद ?

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