Menu
blogid : 2445 postid : 713

मैं तो काला हूँ काला ही रहने दो !!!!!

पाठक नामा -
पाठक नामा -
  • 206 Posts
  • 722 Comments

<
250px-SAMA_Kubera_1

अभी मच्छरों से जंग करते करते कुछ नींद आई ही थी कि ऐसा लगा जैसे कोई साया सा मेरी चारपाई कि और बढ़ रहा है, लेकिन ये क्या वह तो मेरे सिने पर ही सवार हो गया न हाथ न पैर केवल एक धड ? अभी मैं कुछ बोलता वह साया बोला —
“तुम जानते हो मैं कौन हूँ ! मैं कुबेर हूँ ” —

” कौन कुबेर ?” हम बोले —

साया बोला –” अरे भाई मैं कुबेर जिसे लंकाधिपति रावण ने कैद कर लिया था और मेरी सोने की लंका को भी छीन लिया था ”

“हाँ, लेकिन महाराज ये तो बताओ की आपने मुझ गरीब को क्यों जकड रखा है और आपके हाथ पैर कहाँ है “

साया बोला — “वह इस लिए बेटा की तुम काले धन की बहुत बात करते हो बहुत कुछ लिखते हो” ” रही बात हाथ पैरों कि तो वह रावण ने ही छीन लिए थे आजकल वह काम नहीं करते “

“हाँ वह तो मैं लिखता हूँ लेकिन आपको इससे क्या लेना देना “

साया बोला —“यही तो मैं तुम्हे बताना चाहता हूँ की आज से तुम मुझे काला लिखना बंद कर दो,और अपने देशवाशियों को भी कह तो की कोई मुझे जितना काला बनाने या काला करने की कोशिस करेगा मैं उसे रसातल में मिला दूंगा ?

“अरे महाराज, आप नाराज क्यों होते हो, माना की आप धन के देवता हो धन की रक्षा करते हो लेकिन जिसके पास धन होगा आप उसे रसातल में क्योंकर मिलोगे “
साया बोला –“सुनो रावण ने मुझे कैद किया और सोने की लंका पर कब्ज़ा किया– तुम जानते हो उसका अंत कैसे हुआ ?” और “क्या तुम समझते तो ही श्री राम चन्द्र जी ने रावण की सोने से निर्मित लंका पर इस लिए चढ़ाई की थी की रावण ने सीता मैया का हरण किया था ? नहीं अपितु राम ने सोने की लंका के लोभ में चढ़ाई की थी लेकिन रावण भी बहुत ही धूर्त किस्म का इंसान था उसने पहले ही राम के दूत हनुमान के द्वारा सोने की लंका को भस्म करा दिया था ?” और अंत में रामजी को किन पीडाओं से गुजरना पड़ा तुम जानते हो “

“महाराज यह सब ओ पुरानी बाते है अगर लोग धन एकत्र करते है और उसे सुरिक्षित रखते है तो फिर आपको क्या आपत्ति है अब वह काला हो या फिर सफ़ेद “
साया बोला —” अरे मूर्ख यही तो मैं कहता हूँ की मैं तो काला ही हूँ जबसे मुझे रावण ने कैद किया था इस लिए आज भी जब अमीर व्यापारी, भ्रष्ट राज नेता और अधिकारी मुझे विदेशी बैंको में कैद करके रखते है तो मेरा स्वरूप और भी काला हो जाता है ? लेकिन जब कोई गरीब- मजदूर – ईमानदार व्यक्ति जितना कमाता है उतना ही खर्च कर देता है तो मेरा स्वरूप सफ़ेद ही रहता है और मेरे काले रूप से प्यार करने वाला हमेशा कष्टों में ही रहेगा “

साया बोला –” देखो, तुम्हारे देश के एक संचार मंत्री थे मिस्टर सुखराम जिन्होंने रिश्वत में धन लेकर उसको काला किये और फिर आज चौरासी वर्ष की उम्र में जेल की हवा खा रहे है ? एक थे राम राज्य का दिवा स्वपन देखने वाली भगवा पार्टी के अध्यक्ष लक्षमण (बंगारू लक्षमण ) जिन्होंने ने काले धन की केवल एक लाख मुद्रा ही स्वीकार की थी आज जेल में मौज कर रहे है ? एक और थे जो अब स्वर्गीय हो चुके है उन्होंने ने भी मंत्री होते खूब कमाई कीऔर अपना सामराज्य बढाया लेकिन धन के लोभ में असमय ही भाई के द्वारा काल के गाल में समा गए थे ?

वर्तमान में एक है राजा जिसने खूब काला धन एकत्र किया आज राज गद्दी भी छीन गई और जेल की हवा भी खानी पड़ी, दुसरे है कलमाड़ी – कॉमन वेल्थ गेम में खूब कस के कलम चलाई आज जेल में चक्की चला रहे है, एक है मधु कौडा एक अति पिछड़े प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते हुए खूब कमाई की देश ही नहीं विदेशों में जमा किया , लेकिन आज जेल की शोभा बढा रहे है जहाँ कई बार कैदियों के द्वारा पिट चुके हैं और अब उसका मोल भी कौड़ियों के बराबर ही रह गया है ? एक मुख्य मंत्री है (अब भूतपूर्व ) येदीयुरप्पा अवैध रूप से धन एकत्र करने के मामले में जेल तो जा चुके है लेकिन अभी उनकी अकड बाकी है , इसी इलाके के एक स्वर्गीय मुख्यमंत्री के बेटे है जगन्मोहन रेड्डी जिसने अपने पिता के समय सैंकड़ों करोड़ रुपया अवैध तरीके से कमाया आज जेल में शोभायमान है – मैं तुम्हे कहाँ तक गिनाऊं एक अति गरीब प्रदेश बिहार के मुख्यमंत्री थे नाम के लालू और काम के लल्लू – जो बेजुबान गाय भैसों का चारा भी खा गए थे जेल तो काट चुके है आगे भगवान् जाने ”

“महाराज जी यह तो बताओ कि आपने यह मेहरबानी मुझ गरीब पर ही क्यों कि ?”

साया बोला–” मेहरबानी नहीं चेतावनी दे रहा हूँ अपने अखबार में लिखो कि मुझसे अधिक प्रीत करने वाले का अंत बहुत ही खराब होता है , मुझे कितना भी काला करो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है, याद रखना एक दिन मैं सबको रसातल में मिला दूंगा ? और हाँ अपनी माया में मेम साहब और मुलायम पहलवान जी से और कहदो चाहे कितना ही झुकें और कितने ही मुलायम बन जायं एक दिन मेरे कब्जे में जरूर ही आयेंगे मैं, अपना बदला जरूर लूँगा ? इस लिए मैं काला हूँ काला ही रहने दो “

एस.पी.सिंह मेरठ

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh