Menu
blogid : 2445 postid : 737

(CAG) कैग के बहाने !!!

पाठक नामा -
पाठक नामा -
  • 206 Posts
  • 722 Comments

ऐसा कहा जाता है कि जब युद्ध में मेघनाद ने भगवान राम चन्द्र जी को लक्ष्मण और सेना सहित नाग-पाश में बांध लिया गया था तो श्री राम जी ने हनुमान जी को कहा कि तुम विष्णु जी के वाहन गरुड़ जी को ले कर आओ तो वे ही हमें बंधन मुक्त कर सकते है और कोई नहीं, हनुमान जी ने ऐसा ही किया तब भगवान् राम चन्द्र जी और लक्ष्मण जी बंधन मुक्त हुए थे लेकिन इस बात से गरुड़ जी को बहुत अभिमान भी हो गया था और उन्हे शंका हो गई कि राम जी विष्णु अवतार हैं ही नहीं अगर होते तो वह स्वयं ही बंधन मुक्त हो जाते जब उन्होंने ने अपनी बात नारद जी से कही नारद जी समझ गए कि गरुड़ जी को अभिमान हो गया है , तो उन्होंने उनको ब्रह्मा जी के पास भेजा और कहा कि ब्रह्मा जी ही आपकी शंका का समाधान कर सकते हैं ब्रह्मा जी उनकी बात सुनी और उन्हें शंकर जी के पास भेज दिया शंकर जी ने कहा कि इस बात का जवाब तो तुम्हें केवल नीलांचल पर्वत पर रहने वाले, काक भुसुंडी जी दे सकते है और आपको विस्तार पूर्वक समझा भी सकते है जब गरुड़ जी काक भुसुंडी जी के पास गए तो काक भुसुंडी जी ने गरुड़ जी को राम चरित कि महिमा विस्तार पूर्वक समझा दी तब गरुड़ जी संतुष्ट होकर वापस आ गए ? (संक्षेप में कहने पर कुछ त्रुटी हो सकती है क्योंकि कथा बहुत विस्तृत है इस लिए प्रबुद्ध जन क्षमा करे ) CAG (काग ) कागा/ काक / काक भुसुंडी/ कौआ आदि आदि जो की काग के अपभ्रंस/ उपनाम ही है ? लेकिन मैं यहाँ किसी कौए की बात नहीं कर रहा हूँ मैं तो अपने भारत देश के CAG कंट्रोलर एंड आडिटर जनरल विभाग की बात कर रहा हूँ ! ऐसा कहते है कि कौआ हमेशा गंदगी में ही अपनी चोंच मारकर खाने की तलाश करता है और उसे वहीँ से कुछ न कुछ खाना मिल ही जाता है तो जब हमारे आधुनिक काग ने कोयले की खानों की फाइलों को खंगालना शुरू किया तो उसे वहां कुछ मिल ही गया जब उसने उसे अपने उदार में डाल लिया तो उसमे से दुर्गन्ध पैदा होना तो स्वाभाविक ही था ? और जब दुर्गन्ध उठ ही गई तो सबसे पहला नाम हमारे प्यारे मोहन जी का ही निकल आया कि यह सब इनकी देखभाल के समय में हुआ है ?लेकिन अब तो हद हो गई है आधुनिक युग में (CAG) कैग को भी अभिमान हो गया है कि वह ही काग भुसुंडी के असली अवतार हैं और जो वह कहेंगे वही सच होगा चाहे अनुमान से ही कुछ कहा जाय या लिखा जाया सब कुछ सही ही होगा लेकिन वह (कैग ) शायद यह बात भूल जाते है कि इस युग में भी संविधान के निर्माताओं ने तीन लोकों के स्थान पर दो लोको का निर्माण किया है प्रथम लोक सभा और दूसरा राज्य सभा, इन दोनों लोकों में देश के विभिन्न प्रदेशों क्षेत्र, जाति समुदाय धर्म व्यसाय के व्यक्ति ( यानि कि आधुनिक देवी देवता ) सदस्य गण विराजमान होते है जो देश दुनिया कि चर्चा और जनता के दुःख दर्द कष्टों को बढाने या कम करने के उपाय निरंतर करते नजर आते है? काग भुसुंडी द्वारा कि गई शंका कि जांच पहले तो इन्ही दोनों स्थानों के चुने हुए प्रतिनिधि ( PAC ) के चेयर मैंन मुरली वाले श्री मनोहर जी करेंगे तब जाकर प्यारे मोहन जी बचते हैं या फंसते है या फिर उन्हें तीसरे लोक में भेजा जाता है जिसका निर्माण तो नहीं किया गया है पर वह वजूद में है ( जेल लोक ) लेकिन यह तभी तय हो पायेगा जब मिल बैठ कर कोई चर्चा करे क्योंकि दोनों लोकों में तो एन० डी० ए० और यू० पी० ए० को तो अभी आपस में लड़ने से ही फुर्सत नहीं है जैसे कि है कि २०१४ के महाभारत कि तैयारी बहुत पहले से ही हो गई है, एक आधुनिक स्वयंभू दधिची ऋषि ने महाभारत के एक पक्ष को दिनांक १३/८/२०१२ को अपनी अस्थियों में से कुछ अस्थियाँ का दान तो दे दिया है (काले धन का अस्त्र ) वहीँ दूसरे ऋषि सरीखे व्यक्ति विदुर (अण्णा) ने किसी भी पक्ष विपक्ष का साथ न देने का ऐलान कर ही दिया है २०१४ के महाभारत की तैयारियां में सब लोग यू ० पी० ऐ ० और एन० ड़ी० ऐ० दोनों अपनी अपनी फौजें सजा रहे है अपने अपने किलों की मर्रम्मत भी कर रहे हैं लेकिन एक सबसे बड़ा सवाल लाख टके का यह है कि जिस गरीब/पिछड़े/दलित/मजदूर/वंचित लोगों के लिए यह युद्ध लड़ा जायगा वह इस युद्ध के बाद भी जीवित बच सकेगा कि नहीं / हाँ एक बात और भी गंभीर है वह यह कि पहले तो केवल धृतराष्ट्र के पास एक ही सारथि संजय था जो कुरुक्षेत्र के युद्ध का पल पल का आँखों देखा हाल अंधे धृतराष्ट्र को सुना रहा था परन्तु इस आधुनिक काल में तो संजय के पुत्र /पौत्र/पढ्पौत्र न जाने कितना बढ़ा खानदान हो गया है ( टी वी, फेस बुक,ट्विटर, ब्लॉग, एस एम् एस/ एम् एम् एस आदि आदि) कितने गिने इस लिए युद्ध का परिणाम आने से पहले ही जनता को युद्ध का अंतिम परिणाम पहले ही मालूम हो जायगा ? लेकिन काग भुसुंडी का अभिमान/ मान- सम्मान कम होगा या और भी अधिक बढ़ जायगा कोई कुछ नहीं कह सकता ? क्योंकि सरकारी कार्यालयों में कार्य करने वाले सभी लोग जानते है कि हमारे CAG के अंतर्गत कार्य करने वाले विभिन्न प्रेदेशो एवं केंद्र का आडिट विभाग,कार्यालयों का आडिट किस प्रकार से करते है यह किसी से छिपा नहीं है अगर सही तरीके से आडिट करते होते तो आज प्रादेशिक सरकारों के बड़े बड़े घोटाले बहुत पहले ही उजागर हो सकते थे फिर भी यह एक तथ्य है कि हमारी स्वतंत्रता का मंदिर जिसको लोक सभा/राज्य सभा कहते है जो देश की प्रगति विकास कानून और सामाजिक उत्थान के कार्य करने का स्थान है वहां बैठ कर सदस्य गण किस प्रकार से समय व्यतीत करते है और हो हल्ला मचा कर व्यवधान करके गरीब जनता द्वारा दिए गए टैक्स के पैसे की बर्बादी करते है जो सैकड़ों करोड़ रूपये में है क्योंकि टी वी मीडिया या लोकसभा चैनल द्वारा जो दिखाया जाता है उससे तो ऐसा ही प्रतीत होता है क्योंकि विगत में भी इसी प्रकार का व्यवधान महीनो चला था बोफोर्स रिश्वत मामले में लेकिन उसका आज तक कोई रिजल्ट नहीं निकला तो क्या हम यह मानले कि अब इस कोयले कांड में कुछ निकल आएगा या किस किस की कमीज काली होगी ? एस पी सिंह, मेरठ

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh