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आधुनिक सामाजिक आन्दोलन पर एक व्यंग
उधर जब देव-लोक में ऋषि वेद व्यास जी महाभारत की रचना कर रहे थे वह श्लोक बोलते थे और गणेश जी उसको लिखते जा रहे थे तो गणेश जी के वहान मूषक जी खाली थे उनको कोई काम ही नहीं था वैसे भी उन्हें नारद जी से यह सन्देश मिलता ही रहता था की भूलोक पर बहुत भ्रष्टाचार फ़ैल रहा है चारो ओर महंगाई और मिलावट खोरी हो रही है ? देवताओं में प्रथम पूजनीय गणेश जी के सखा कब पीछे रहने वाले थे वह भी उनकी आज्ञा लेकर मनुष्य का रूप रख कर भूलोक लोक पर आ गए ?
इधर भूलोक पर पधारने के बाद हमने उनका नाम भैया जी ही रख दिय आप भी उसी नाम से जानिए, हमारे भैया जी को यह समझ में ही नहीं आया की अब क्या करे क्या न करे तो उन्होंने विश्वकर्मा जी के विभाग में नौकरी कर ली यहाँ मन नहीं लगा और कुछ समझ में भी नहीं आया तो उन्होंने नारद जी से विचार विमर्श किया की भूलोक का भ्रष्टाचार किस प्रकार से समाप्त किया जाय, नारद जी ने उनसे कहा की यहाँ भूलोक पर जो कुछ भी होता है वह जनतांत्रिक रूप से होता है अर्थात जनता के द्वारा चुनी हुयी सरकारे ही राज्य करती है जिसको सांसद/विधायक/सभासद/प्रधान के द्वारा चलाया जाता है और यही लोग सबसे शक्तिशाली होते हैं या फिर प्रशासनिक अधिकारी सबसे शक्ति शाली होता है ? भैया जी ने सोचा की नेता बनाने के लिए तो अधिक पापड़ बेलने पड़ेंगे तो फिर प्रशासनिक अधिकारी ही बना जाय बैठ गए आई० ए० एस० की परीक्षा में लेकिन नंबर कुछ कम आने पर आई० आर० एस० संभाग ही मिला कुछ दिन वहां नौकरी करने के पश्चात कुछ अनुभव प्राप्त किया और एक जनतांत्रिक कानून सुचना के अधिकार का प्रचार प्रसार करके बहुत नाम कमाया और सोंचा अब तो नेता गिरी की गाड़ी चल जायेगी तुरंत ही नौकरी छोड़ दी ? और पब्लिक के दुःख दर्द के कारणों को जानने के लिए एक एन० जि० ओ० का गठन किया पर इससे काम न चला तो इंडिया के करप्शन को मिटने के लिए एक और संस्था का गठन किया – और भ्रष्टाचार के विरुद्ध कार्य करने के लिए कुछ साथियों की टीम बनाई – यह देख कर भैया जी बहुत निराश हुए की यहाँ तो सारे बिल्ले बिल्लाऊ / मगरमच्छ टाईप के जनप्रतिनिधि कभी कोयले में से ही मलाई निकाल रहे है कभी हवा में से ही ( 2G ) मलाई निकल लेते है कभी खिलाड़ियों के खेल से मलाई निकल लेते है (CWG ) कोई स्थान नहीं बचा जहाँ से मलाई बनाने का कार्य न करते हो और यह बिल्ली और बिलोटे खा खा कर मुटिया गए है ?
तब उनके मन में विचार आया की क्यों न इन बिल्ली और बिलौटों के गले में घंटी बाँधी जाय इस काम के लिए इन्द्रप्रस्थ के जंतर मंतर से उपयुत्क और कौन सा स्थान हो सकता था बस फिर क्या था आनन् फानन में जंतर मंतर पर एक विशाल पंडाल लगाया गया जहां पर मोटे मोटे १५ बिलौटों के चित्र भी टांगे गए और उनके गले में मोटी मोटी फाइलों की घंटी बाँधी गई और और ऐलान भी कर दिया की अबकी बार २०१४ के इलेक्सन में वह भी संसद में घुसने का पुरजोर प्रयास ही नहीं करेंगे अपने साथियों को संसद के अन्दर धुसेड़ेंगे इसी ऐलान के साथ अपने कार्य की इतिश्री कर ली क्योंकि वास्तिविक रूप में तो भैया जी किसी बिल्ली के गले में घंटी तो अभी नहीं बाँध सके, समय का चक्र है की इतना सबकुछ करने के पश्चात भी बिल्ली बिलौटे मस्ती से दिन काट रहे है और हमारे भैया जी खा खा कर भी दुबले पतले हुए जा रहे है लेकिन नई पार्टी बनाने की बात जहाँ की तहां अटकी हुई है गजब तो तब हो गया जब नारद जी ने उन्हें सलाह देदी भैया जी आप जब तक जेल यात्रा नहीं करोगे नेता नहीं बन सकते अब तो हमारे प्यारे भैया जी पुलिस से टकराने की हजारों कोशिस कर चुके है यहाँ तक कि एक दिन अपने स्वयं सेवकों और साथियों के साथ संसद मार्ग पुलिस थाने भी पहुँच गये कि मुझे मेरे साथियों के साथ गिरफ्तार करो और जेल भेजो परन्तु राजधानी की पुलिस है कि उनकी बात ही नहीं मानती पुलिस ने थाने में आदर से बैठाया चाय पिलाई ब्यान लिखा और कह दिया हम आपको गिरफ्तार नहीं करेंगे आप अपने घर जा सकते है अब भैया जी क्या करे अब तो केवल वर्ष २०१४ का इन्तजार है जो की १६ माह के बाद आएगा ?
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