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{उपरोक्त पंक्तियाँ राजा प्रथ्वी राज चौहान के दरबारी कवी और मित्र चन्द्र बरदाई द्वारा कही गई हैं ऐसा प्रथ्वी राज रासों नामक कविता संग्रह से उदृत किया गया है.}
ऐसा कहा जाता है कि मुहम्मद गौरी ने अनोकों बार भारत पर आक्रमण किया लेकिन पृथ्वी राज चौहान के हाथों हर बार पराजित हुआ था लेकिन एक बार वह सफल हो ही गया और उसने पृथ्वी राज चौहान को बंदी बना लिया इतना ही नहीं पृथ्वी राज चौहान को आँखे भी फोड़ दी थी / लेकिन अपने घमंड में चूर मुहम्मद गौरी पृथ्वी राज चौहान के दरबारी कवि चन्द्र बरदाई कि बातों के जाल में फंस ही गया और उसने यह जानने के लिए कि क्या वास्तव में पृथ्वी राज चौहान शब्द भेदी बाण चलाना जनता है उसका प्रदर्शन देखने के लिए एक ऊँचे मंच पर बैठ गया उसी समय चन्द्र बरदाई ने कविता के माध्यम से अंधे पृथ्वी राज चौहान को सुलतान कि यथा स्तिथि बता दी ” चार बांस चौबीस गज अंगुल अष्ट प्रमाण ता ऊपर सुल्तान है मत चूके चौहान ” और पृथ्वी राज चौहान ने अपने शब्द भेदी बाण के द्वारा सुलतान का वध कर दिया था :
लेकिन यहाँ सन्दर्भ ही दूसरा है सन्दर्भ है वर्तमान राजनितिक अनिश्चितता का माहोल पैदा किया जा रहा है सवाल पैदा होता है कर कौन रहा है यह हमारे आधुनिक जन प्रतिनिधि कर रहे है कानून बनाने वाले और कानून का पालन कराने वाले सडकों पर जोर आजमा रहे है बाकीका काम लोकतंत्र का तीसरा और चौथा खम्बा यानी न्याय पालिका और मिडिया पूरा कर रहे है जनता जाए भाड़ में ! अब सवाल यह है की जो लाड़ाई वाद विवाद संसद के अन्दर होना चाहिए था वह आज न्यायलय और मीडिया के माध्यम हो रहा है पुरे पांच सौ तैतालिस ( ५४३ ) संसद के सदस्य भरपूर सुख सुविधाएं लेकर मौज कर रहे हैं. ? यह न तो संविधान के अनुरूप है और न नैतिकता पर ही खरा उतरता है अब अगर यह प्रतिनिधि संसद को नहीं चला सकते तो आखिर फिर एक और चुनाव की मांग क्योंकर उठाते हैं>
पूरे भारत में संवैधानिक रूप से २९ राज्य हैं और ६ केंद्र शासित क्षेत्र जहां से कुल ५४३ चुने हुए प्रतिनिधि (संसद सदस्य ) और राज्यों से चुने हुए हजारों विधायक विभिन्न राज्य सरकारों एवं केंद्र के द्वारा इस देश का शासन चलाते हैं,
कुछ अपवादों को छोड़ कर अगर पुरे लोकतंत्र पर नजर डाली जय तो ऐसा लगता है की जनता को किसी की चिंता नहीं है ऐसा लगता है सरकार चलाना भी ऐसा ही है जैसे कोई व्यापार करना एक के साथ एक फ्री आफर के तहत सामान बेचा जाता है उसी पर प्रकार से चुनाव से पहले पार्टिया विभिन्न प्रकार की घोषणा करती है की मुफ्त में कुछ सुविधाए दी जायंगी.
राज्य
१. जम्मू एंड कश्मीर २. हिमाचल प्रदेश ३. पंजाब ४. उत्तराखंड ५. हरयाणा ६. राजस्थान ७. दिल्ली ८. उत्तर प्रदेश ९. बिहार १० सिक्किम ११. अरुणाचल प्रदेश १२. असम १३ नागालेंड १४ मणिपुर १५ मिजोरम १६ त्रिपुरा १७ मेघालय १८ पश्चिम बंगाल १९ झारखण्ड २० मध्य प्रदेश २१ छत्तीसगढ़ २२. गुजरात २३ महाराष्ट्र २४ आन्ध्र प्रदेश २५ कर्णाटक २६ केरल २७ तमिल नाडू २८ गोवा २९ ओड़िसा
केंद्र शासित क्षेत्र
अ ) अंदमान निकोबार ब ) चंडीगढ़ स) दादर-नगर हवेली द ) लक्श्यदिव ध) दमन एवं दिव न) पुदुचेरी
कहने में और सुनाने में यह एक सरल सा सवाल भी है और उत्तर भी हैं. लेकिन देखने में जो आता है वह बहुत ही भयावह है. ऐसा लगता है अधिसंख्य मंत्री जिन पर सरकार चलाने की जिम्मेदारी होती है उन समय समय पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहते है और जांच होने पर लिप्त भी पाए जाते है? यहाँ यह देखने वाली बात है की केवल उँगलियों पर गिने जाने वाले कुछ प्रदेशों में भारतीय जनता पार्टी की सरकारे हैं जैसे मध्य प्रदेश /छत्तीसगढ़ /. गुजरात /गोवा
और पंजाब /बिहार/नागालेंड जहाँ दूसरी पार्टियों के साथ मिल कर सरकार चला रहे हैं. वहीँ दूसरी और कुछ क्षेत्रीय पार्टियों की सरकारे है जैसे उत्तर प्रदेश /तमिल नाडू / पश्चिम बंगाल / ओड़िसा / जम्मू एवं कश्मीर बाकी के १९ प्रदेशो में या तो कांग्रेस स्वयं सरकार चला रही है या क्षेत्रीय पार्टियों के साथ या फिर सीधे राष्ट्रपति के द्वारा शासन रत है अब सवाल यह है की इतने कम जनाधार वाली भारतीय जनता पार्टी किस आधार पर देश के लोकतंत्र को बंधक बना कर अगले चुनाव में शासन करने का स्वपन देख रही है क्योंकि भारतीय जनता पार्टी की साख दिन पर दिन गिरती जा रही है जहाँ यू ० पी ० ए० -२ ने भारतीय जनता पार्टी के मजबूत जबड़े से पिछले ४ वर्षों में राजस्थान, हिमाचल , उत्तराखंड और अब कर्णाटक के मजबूत जनाधार वाले किले छीन लिए है भले ही कांग्रेस पर कितने ही भ्रष्टाचार के आरोप लगे हों. दूसरी और भारतीय जनता पार्टी ने केवल गोवा राज्य को कांग्रेस से छीना है इस लिए या बात समझ से परे है की किस बूते पर और कौन सा पृथ्वी राज चौहान के सामान शब्द भेदी बाण चलाने वाला योधा है भारतीय जनता पार्टी के पास जो उपरोक्त कविता की पंक्तियों को साकार कर सकता हो “चार बांस चौबीस गज अंगुल अष्ट प्रमाण ता ऊपर सुल्तान है मत चूके चौहान” लेकिन न तो यहाँ कोई पृथ्वी राज चौहान है और न ही कोई सटीक लक्ष्य बताने वाला योधा कवि “चन्द्र बरदाई” है जो यह बता सके की ५४३ सदस्यों वाली लोक सभा में से २७२ सदस्यों की संख्या किस प्रकार से लायेंगे ? हाँ इस बात में कोई दो राय नहीं हो सकती की अपने काकून में रहने वाला बी जे पी का पितृ संघठन चन्द्र बरदाई की भूमिका तो निबाह सकता है लेकिन लंगड़े घोड़े के सहारे वह भी यह रिस्क लेने को तैयार नहीं है ? इस विभिन्न धर्मावलम्बी देश में केवल हिंदुत्व के सहारे भी कोई राजनीती कि जा सकती है क्योंकि केवल हिंदुत्व के चरखे पर काता गया सूत इतनी बड़ी चादर नहीं बना सकता जिस में इस देश के सारे हिन्दू ही बांधे जा सके या समां सकें ? इसलिए अब तो यही लगता है की वर्तमान सरकार पर जितने भी आरोप लगे हों या सिद्ध हो चुके हो उसका विकल्प भारतीय जनता पार्टी तो बिलकुल ही नहीं हो सकता ? और न ही किसी तीसरे मोर्चे का कोई भविष्य नजर आता है ? इस लिए यहाँ चौहान को चूकना ही होगा ?
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