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“राम ने मिलाई जोड़ी एक अँधा एक ………….” ऐसा कहने वाले यह कह कर न जाने कब के चैन की नींद सो गए होंगे परन्तु आधुनिक मिडिया आगे आने वाले जन नायकों के ऐसे ऐसे नामकरण करने में उतारू हो गया है जिसका कोई अंत नहीं – एक राष्ट्रीय पार्टी के नौजवान उपाध्यक्ष को “पप्पू” के नाम से तो दूसरी ओर एक और बड़ी पार्टी के प्रचारक से शासक बने और अब प्रचार का ढोल भी पीटने वाले नेता को “फैंकू” संबोधित करने लगे है?
१ ६ जून २० १ ३ को उत्तर भारत में आई सुनामी से जहाँ पूरा भारत अभी सन्न है और शासन – प्रशासन एक दुसरे का मुंह ही देख रहे है कि क्या करे और क्या न करे वो तो भला हो फ़ौज और अर्ध सैनिक बालो के जवानो और वायु सेना का कि उन्होंने ने मोर्चा संभाल लिया है अभी एक लाख नौ हजार से अधिक पर्यटकों और श्रधालुओं को इस त्रासदी से निकाल कर उनके घरों की और रवाना किया वहीँ अभी तक यह नहीं पता चल पाया है की इस त्रासदी में कितने लोग काल के गाल में समा गए होंगे लेकिन अभी भी दसियों हजार लोग इस त्रासदी में फंसे हुए है जिनको निकालना कठिन हो रहा है। और पूरी तरह से बर्बाद स्थानीय निवासियों को अभी तक उचित सहायता भी नहीं पहुँच पाई है लेकिन कथित फैंकू भाई ने इस त्रासदी में भी बाजी मार ली और मीडिया पर अपना डंका बजवा ही दिया नमक —हलाल फिल्म के नायक की भांति गए गाने
“….. लो भैया लगा ली है तान हमने ……….. दबा लेगा दांतों तले ………. ऊँगली ये ज़माना … देख कर अपनी चाल …..”
” कि पग घुंघरु बाँध मीरा नाची थी और हम नाचे बिन घुंघरू के ” की तरह अभी तान अलाप ही दी कि —
” तुम केदार नाथ मंदिर के जीर्णोउद्धार का कार्य मुझे दे दो!
फिर मेरा कमाल देखो की जमाना दांतों तले अपनी ऊँगली ही चबा लेगा ?”
इतना ही नहीं फैंकू भैया के प्रचारकों ने प्रचार करना आरम्भ ही किया था की अपने प्रदेश गुजरात के पंद्रह हजार नागरिकों जो उत्तराखण्ड की त्रासदी में फंस गए थे फेंकू भैया एक ही दिन में निकाल कर ले आये थे। अब यह बाईट तो मीडिया के लिए बहस का माध्यम ही बन गई है और मीडिया अपनी रेटिंग बढाने के लिए लगातार बहस आयोजित कर रहा है। दूसरी तरफ अभी यह गाना और समाचार मीडिया के रिकार्ड पर बजना शुरू ही हुआ था की पप्पू भैया की पार्टी के दिग्गजों को पसीना छूटने लगा और डेमेज कंट्रोल में व्यस्त हो गए और पप्पू भैया को जो विदेश में प्रवास करके अगले चुनाव के लिए रणनीति बनाने में व्यस्त थे तुरंत ही एस ओ एस का सन्देश भेज कर वापस बुलाया गया।
पप्पू भैया आते ही अपने सलाहकारों और सहायकों पर पिल गए लेकिन एक अंकल टाइप सहायक ने मामला संभाल लिए और कहा की भैया अभी तो पहाड़ों पर जिन्दा बचे लोग इतने भूखे है कि अगर उनके ;खाने पिने का इंतजाम नहीं किया गया तो वे ऊँगली क्या अपना पूरा हाथ ही चबा कर खा जायंगे और अभी तो केवल पर्यटक ही निकाले जा सके है बर्बाद हुए स्थानीय लोग भी तो है जिनकी भरपूर सहायता का कार्क्रम बनाने की जरूरत है ?
पप्पू भैया की समझ में यह बात जल्दी ही आ गई और तुरंत राहत सामग्री से भरे बड़े बड़े ट्रक आपदा पीड़ितों के लिए रवाना कर दिया गए और अभी यह ट्रक अपने निश्चित स्थान पर पहुच भी नहीं पाए थे की पप्पू भैया तुरंत ही अपनी टीम लेकर पहाड़ों की और रावना हो गए ?
अब जहां इस प्राकृतिक आपदा से त्रस्त लोग अभी संभल भी नहीं पायें है राजनितिक पार्टियों ने अपनी रोटी भी सेंकनी आरम्भ कर दी है। एक ओर एक पार्टी ने अपना घिसा पिटा पूराना राम मंदिर का राग छेड़ा तो दूसरी पार्टी ने कम दाम यानि मुफ्त में राशन (अनाज ) देने का कानून ही लागु कर दिया./ अभी यह निश्चित नहीं है की आगे क्या होगा अभी तो वार्षिक एक्जाम से पहले छमाही एक्जाम भी होने है देखते है की पप्पू पास होता हैं या फेंकू फ़ेल। — एस पी सिंह – मेरठ
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