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सत्ता का स्व्यंवर !!!!

पाठक नामा -
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२०१४ में होने वाले सत्ता के स्व्यंवर का समय जैसे जैसे पास आता जा रहा है स्व्यंवर में भाग लेने वाली अखिल भारतीय राजनितिक पार्टियाँ के साथ साथ क्षेत्रीय पार्टियाँ में अपने -अपने खेमे दुरुस्त करने में लग गए है जिनके पास अपने दुल्हे यानि वर हैं उन्होंने पहले से ही वर की घोषणा भी कर दी है – लेकिन एक दिक्कत भी सामने आ रही है स्वयंवर के लिए एक शर्त पहले से ही तय कर दी गई है कि दूल्हा कोई भी हो शर्त यह है कि उसे तीन सौ (३००) सेंटीमीटर से बने कपडे का थ्री पीस या फिर (२७५) सेंटी मीटर का टू पीस सूट पहन कर आना होगा सत्ता उसी का वरण करेगी ?

अब सवाल यह यह की देश की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी (जिसका प्रचार तो पूरे भारत में है लेकिन प्रसार केवल उत्तर भारत में ही है) ने दुल्हे के रूप में अपने फेंकू भाई के नाम का ऐलान कर दिया है ऐलान ही नहीं कर दिया है जोर शोर से तैयारी भी आरम्भ भी कर दी है लेकिन दिक्कत यह है कि उसके पास इतनी ताकत नहीं है कि वह तीन सौ सेंटीमीटर तो दूर कमसेकम २७२ सेंटीमीटर कपडे की भी जुगत कर सके। कुल मिला कर उसके पास ले दे कर केवल १५० या १७० सेंटीमीटर कपडे का ही इंतजाम हो सकता है अगर संगी साथी या मित्रगण कुछ योगदान करसके तो पंजाब के अकाली भाई भी कुलजमा ९ सेंटीमीटर और शिवसैनिक भाई भी १० सेंटीमीटर से अधिक कपडे का योग दान नहीं कर सकते तो कुल जमा १७० + ९ + १०= १८९ सेंटीमीटर का ही जुगाड़ हो सकता है क्या कोई ऐसा दरजी (टेलर) मिल सकता है जो इतने कपडे में ही दुल्हे राजा का पूरा सूट बना सकता है (अब ऐसे हालात में क्या होगा नंगा नहायेगा क्या और निचोड़े का क्या वाली कहावत चरितार्थ नहीं होगी तो क्या होगा ) अब इतने कपडे में थ्री पीस सूट तो नहीं बन सकता लेदेकर केवल एक कोट और एक लंगोटी ही बन सकती है ? लेकिन अगर फेंकू भाई कोट के निचे खाकी निकर पहन कर स्वयंवर में जाने का जोखिम भी ले ले और फिर स्व्यंवर में पहुँच भी गए तो क्या सत्ता के रखवाले गोल गुम्बद में रहने वाले अम्पायर बाबा बदरंग दुल्हे को सत्ता के साथ सात फेरे लेने देंगे क्या ? हमें तो नहीं लगता की अम्पायर बाबा ऐसा करने देंगे। अब अगर स्व्यंवर में बैठे किसी और दुल्हे ने अपने पेंट उतार के दे दी तो बात कुछ और है ? लेकिन यकीन करना सरल तो नहीं है परन्तु असंभव कुछ नहीं है। क्योंकि इसी भारतीय राजनितिक सत्ता ने विगत में कभी थोड़े थोड़े समय के लिए किसी लुंगी वाले किसी दाढ़ी वाले किसी तलवार वाले किसी धोती वाले बदरंग दुल्हों का भी वरण किया ही था। लेकिन देखना यह है कि अगले वर्ष 66 वर्ष पूर्ण करने वाली नव यौवना भारतीय राजनितिक की सत्ता किस प्रकार के वर का वरण करेगी हाफ पेंट ( या मांगी गई पूरी पेंट ) पर पूरा कोट पहने फेंकू भाई का या अपरिपक्कव अनुभवहीन पप्पू भाई का या फिर किसी ऐरे गैरे नाथू खैरे का। एस पी सिंह , मेरठ

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