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प्याज और आंसू !!!

पाठक नामा -
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रो रो कर काटो फिर खाओ फिर भी खूब खाओ कच्ची खाओ या पकाके खाओ जैसे भी खाओ आपकी मर्जी और इतनी खाओ की अगली बार खरीदने जाओ तो फिर रोओ ! हम बात कर रहे है अनियन यानि कांदा यानि प्याज, प्याज यानि कि एक सब्जी जिसका उपयोग आज सभ्य समाज में ही नहीं आदिवासी लोगो में भी कोई भी ऐसी सब्जी या डिश ( वेज या नान वेज कोई भी ) ऐसी नहीं है जो बिना प्याज के बनाई जाती हो और इतना ही नहीं कि हमारे भारत में इसका उपयोग होता है यह तो पुरे संसार में प्रचुर मात्र में उगाई जाती है और खाई जाती है जहां उगाई नहीं जाती वे लोग इम्पोर्ट करते है मगर खाते जरूर है ? हमारे देश में तो यह गरीब और बेहद गरीब के लिए रुखी रोटी गले से नीचे उतारने का एकमात्र साधन था प्रातः जब मजदूरी करने के लिए घर से निकलता था तो चार रोटी के साथ एक प्याज कि गाँठ बीबी जरूर साथ में रख देती थी| लेकिन इस मरी प्याज ने तो उस गरीब को भी रोटी खाने से महरूम करने का मन ही बना लिया है\ बेचारा गरीब क्या करे और क्या न करे |
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बात इतने तक तो ठीक थी कि नान वेज खाने वाले इसका उपयोग तो करते ही है क्योंकि नान वेज की कोई भी डिश बिना प्याज के बनती ही नहीं लेकिन जो लोग नानवेज नहीं खाते वे प्याज खा कर ही संतोष कर लेते है क्योंकि प्याज इतना स्वाद देती है कि खान पान का मजा ही बढ़ा देती है लेकिन अगर हमारे देश में प्याज को वे लोग पसंद करने लगे जिनके घरो की रसोई में इसका प्रवेश वर्जित था तब तक तो सबकुछ ठीक था लेकिन जब से वे लोग इसका उपयोग ही नहीं दुरूपयोग करने लगे है तब से प्याज ने भी नखरे करना आरम्भ कर दिया है और किसी नई नवेली दुल्हन के सामान अपने मायके यानि उत्पादकों के खेत खलियानों से निकल व्यापारियों/दलालों के गोदामों में छुप कर बैठ गई है तब से तो दिल्ली से लेकर अलवर और कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक लोग त्राहि त्राहि कर चुके है परन्तु दलाल है कि प्याज की कीमत उसी तरह वसूलना चाहते है जैसे कि किसी वैश्या की भरपूर यौवन की कीमत ? अब यह तो समाज के उन प्याज खाने वाले लोगों पर ही निर्भर है कि वह कौन सा रास्ता चुनते है ? प्याज का खान पान कम करते है या किसी ठरकी के समान प्याज को कुछ समय के लिए छोड़ ही नहीं सकते ?

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लोग छोड़े भी क्यों, क्योंकि अकेली प्याज में ही इतने गुण है जो किसी और सब्जी में न तो है और न आगे हो सकते है यह नामुराद प्याज के गुणों का बखान करने बैठो तो पूरा एक पन्ना ही भर जायगा : फिर भी सुनो ! इस प्याज में 88 प्रतिशत तो केवल पानी ही होता है बाकी फाइबर लेकिन उस पानी में ही लवण से लेकर विटामिनो का खाजाना ही भरा पड़ा है | विटामिन ए विटामिन बी-6 विटामिन सी, कैल्शियम, आयरन, मैगनीज, फ़ास्फ़ोरश, पोटासियम, सोडियम, जिंक, कॉपर, शुगर और प्रोटीन भी पाया जाता है | अब अगर इतना पौष्टिक खजाना इस प्याज में है तो सरकार क्यों नहीं ऐसी बहुमूल्य वस्तु का राशन कर देना चाहिए जिससे यह देश के प्रत्येक नागरिक को निर्बाध रूप से मिल सके | क्योंकि जबसे यह खबर चली है कि डाक्टरी जांच में तथाकथित स्वयंभू संत कि पौरषता 72 वर्ष में भी 98 प्रतिशत है और वह पौरुष वर्धक बूटियों के साथ साथ प्याज का भरपूर उपयोग करते है और अपने साधकों को करवाते है तो शायाद इस प्याज कि किमते बढ़ने एक कारण यह भी हो सकता है | इस लिए सरकार को ही बड़े बड़े गोदाम बना कर प्याज को संरक्षित करना चाहिए जहां वर्षो तक इसको सुरिक्षित किया जा सके क्योंकि वर्तमान में चार छ महीने से अधिक इसको रखा ही नहीं जा सकता | और इतना ही नहीं सरकार को अपने सुरक्षा कर्मियों यानि कि फ़ौज के जवानो को भी परचुर मात्रा में प्याज का सेवन अनिवार्य करवाना चाहिए जिससे कि वह जब सीमाओं कि रक्षा में रहे तो कोई दुश्मन उनकी गर्दन काट कर न ले जा सके ? एस पी सिंह

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