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“राहुल गांधी दलितों के घर हनीमून या पिकनिक के लिए जाते हैं। यदि उन्होंने किसी दलित लड़की से शादी की होती तो उनकी किस्मत चमक सकती थी और वह प्रधानमंत्री बन जाते”: बाबा रामदेव –
जहाँ तक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सवाल है देश के प्रत्येक नागरिक( नेता /अभिनेता/अधिकारी/व्यापारी / साधु-सन्यासी कोई भी हो ) को यह अधिकार है कि वह अपनी बात को सार्वजनिक रूप से व्यक्त कर सकता है जिसका अधिकार उसे हमारे संविधान ने दिया है – और उसे अपनी बात को व्यक्त भी करना भी चाहिए । लेकिन भारतीय परम्परा के अनुसार हमारे भारत में साधु संतो का स्थान सर्वोपरि है । अब साधू-संत का आचार विचार क्या हो इस पर कोई बहस नहीं हो सकती क्योंकि साधु संत समाज ने अपनी उच्च परम्पराओं से इसे सिद्ध भी कर दिया है कि यह वर्ग समाज को सही दिशा देने के लिए ही संन्यास का व्रत लेते है । अब अगर कोई संन्यास धारण किया हुआ व्यक्ति (संत – सन्यासी ) समाज से कुरीतियों को अनाचार को या भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए कुछ योग दान करना चाहता है तो उसका स्वागत ही होना चाहिए लेकिन उसकी प्रवृति ऐसी होनी चाहिए जैसे किसी ने कहा : साधु ऐसा चाहिए जैसे सूप सुहाए , सार सार को गहि लए थोथा दई उड़ाए – लेकिन लगता है की माननीय राम देव में गुण तो अनेक हैं लेकिन उनके अपने अवगुण के विषय में वह अनभिज्ञ है वो अवगुण यह है की जिन विषय में उनको ज्ञान है वह तो ठीक लेकिन जिन विषयों प उनको ज्ञान नहीं है उस पर भी वह धरा प्रवाह बोलने की गलती करते है और फंस जाते है ?
जैसा इस चुनावी मौसम में होना था वैसा ही हुआ बाबा राम देव के के उपरोक्त बयान पर समाज के हर वर्ग ने खासकर दलित वर्ग ने खासी नाराजगी व्यक्त की है। रामदेव के बयान की गंभीरता को देखते एक तरफ जहां उत्तर प्रदेश पुलिस ने उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है वहीं चुनाव आयोग ने एक आदेश जारी कर धार्मिक संगठनों और समूहों की ओर से धार्मिक समागम, योग शिविर और जुलूस आदि निकालकर किसी उम्मीदवार या पार्टी के समर्थन या विरोध में अपील करने पर पाबंदी लगा दी है। वैसे अपने बयान पर मचे बवाल के बीच योग गुरु बाबा रामदेव ने दिए वक्तव्य पर अफसोस जताया है। लेकिन देश भर में उनके विरुद्ध अनेको मामलों में मुक़दमे पंजीकृत किये जा रहे है / यहां तक एस सी / एस टी एक्ट में भी मुकदमो की लाइन लग गई है /
जहां एक ओर बाबा रामदेव के इस बयान के बाद समाज का हर वर्ग उनके खिलाफ सक्रिय हो चुका है। उनके विरोधी उन्हें ‘विकृत मानसिकता’ वाले व्यक्ति के तौर पर देख रहे हैं, जिसके मन में दलित महिलाओं के लिए कोई सम्मान का भाव नहीं है। फिर भी एक राजनीतिक दल (भाजपा) उसे गले लगाए हुए है। बसपा प्रमुख मायावती तो चुनाव बाद उन्हें देख लेने की बात कर रही हैं। जानकारों का एक वर्ग मानता है कि राजनीतिक दल भाजपा और उनके नेता नरेंद्र मोदी का नाम जपने वाले बाबा रामदेव का यह बयान भाजपा को नुकसान पहुंचा सकता है। रामदेव के इस बयान को कई राजनीतिक दल भाजपा के नुकसान के साथ जोड़कर देख रहे हैं। यहां यह बात ध्यान देने योग्य है कि सुदूर कश्मीर से लेकर पश्चिम बंगाल तक विपक्ष आज एक जुट है ऐसे में बाबा राम देव का ब्यान नरेंद्र मोदी को कितना फायदा या नुक्सान पहुंचाएगा यह तो १६ मई के बाद ही मालूम होगा ? क्योंकि अगर कोई व्यक्ति जिसने बचपन से ही संन्यास धारण कर लिया हो बाल -ब्रह्मचारी हो उसे बेहूदी बचकानी हरकतों और यौवनाचार (सेक्सी) बातों से परहेज करना ही चाहिए लेकिन ऐसा लगता है कि कुछ लोग केवल गेरुवा वस्त्र धारण करके अपना वेश सन्यासियों जैसा अवश्य धारण कर लेते है लेकिन उनका मन सांसारिक लोभ को नहीं छोड़ता पाता है और वह सांसारिक भोग विलास को छोड़ ही नहीं सकते है जो की उनकी यदा कदा हरकतों से परिलक्षित होता रहता है ? और यह अवगुण बाबा राम देव में भी विद्यमान है भले ही वह कितना विशवास जनता को या अपने अनुयायियों को दिलाये की वह एक सन्यासी योगी है लेकिन उनकी विलसित जीवन शैली सब कुछ सच कहती है \ यात्रा वह अपने निजी प्लेन या हेलीकॉप्टर में करते है सड़क मार्ग पर वह अपनी लक्सरी बड़ी बड़ी करों में करते है कुटिया के नाम पर वैभवपूर्ण वातानुकूलित कक्ष में शयन करते है तो किस बात के योगी या सन्यासी है ?
इस लिए यह कहने में किसी को भी आपत्ति नहीं होनी चाहिए श्री राम किशन यादव जो लगभग आज से तीस वर्ष पूर्व जो अपना घरबार छोड़कर ( बिमारी या आभाव् ग्रस्त होने के कारण) निर्वाण की तालाश में देव भूमि में आ गए थे और जब अपने गुरु देव के गायब होने ( या गायब कर दिया जाने )के बाद देव भूमि में अवतरित हुए तो एक सफल योग गुरु की शक्ल में थे और नाम रख लिया था स्वयंभू योग गुरु संत “बाबा राम देव” और एक भारतीय योग परम्परा को ही व्यापार का साधन बना लिया और योग को बेच कर करोड़ों रूपये अर्जित किये मन अभी यहीं से नहीं भरा फिर दौर आरम्भ हुआ आर्युवैदिक दवाओं के व्यापार का जो कभी निर्ववादित नहीं रहा ? फिर दौर शुरू हुआ सामाजिक उत्थान का और काले धन और भ्रष्टाचार के विरुद्ध आंदोलन का जिसमे सामाजिक कार्य कम राजनीतिक दर्द अधिक आलोकित हो रहा था जिसका परिणाम यह हुआ की उनका आंदोलन भी कुचल दिया गया और अपनी जान बहाने के लिए उनको महिलाओं के वस्त्र धारण करके मंच से भागना पड़ा था ? और तभी से आज दिन तक बाबा राम देव ऐसा कोई भी अवसर नहीं छोड़ते जिसमे वर्तमान सरकार और एक पार्टी के अध्यक्ष और उसके परिवार को अनर्गल आरोपों और अभद्र टिप्पणियॉ से सुशोभित न करते हो ? क्योंकि सरकार ने भी उनके ऊपर एक सौ से अधिक वाद विभिन्न धाराओं में पंजीकृत कराये है जो अभी तक लंबित है. लोगों का तो यह भी कहना है कि बाबा राम देव के साम्राज्य में भी सबसे अधिक काले धन का उपयोग किया गया है जिससे एक नही सैंकड़ो कंपनिया खरीदी है क्या व्यापार करना किसी सन्यासी का कार्य है ?
लेकिन हद तो तब हो गई जब इन्ही बाबा रामदेव जी ने अपनी सन्यासी परम्परा को कलंकित करते हुए विशुद्ध राजनितिक अवतार में एक पार्टी के अविवाहित उपाध्क्ष राहुल गांधी पर एक ऐसी अभद्र टिप्पणी कर दी जिसकी उपेक्षा एक सन्यासी व्यक्ति से नहीं की जाती सकती ? लेकिन यह कथित सन्यासी जी यहीं नहीं रुके उन्होंने ने हद तो तब कर दी जब भारत के सबसे उपेक्षित वर्ग दलित समाज को भी इसमें लपेट लिया और कहा की ” राहुल गांधी की माता जी चाहती है की बेटा किसी भारतीय कन्या से विवाह कर ले लेकिन बेटा है की किसी विदेशी कन्या से शादी करना चाहता परन्तु माँ ऐसा नहीं चाहती इस लिए बेटा अपना हनीमून और पिकनिक मनाने के लिए दलितों के घर में जाता है ” ऐसे शब्द किसी सन्यासी के मुखारविंद को शोभा नहीं देते ? भले ही उनकी मनसा या इच्छा ऐसी नहीं थी
वहीं दूसरी तरफ रामदेव के समर्थकों और भाजपा के कई नेताओं ने इस बयान के लिए मीडिया को कटघरे में खड़ा किया है। उनका मानना है कि रामदेव ने जो बयान दिया है उसे एक व्यंग्यात्मक रूप में लिया जाना चाहिए। राजनीति में इस तरह के बयान अकसर और भी नेता देते रहे हैं जैसे – हनीमून का वक्त समाप्त हो गया है, जैसे शब्द का राजनीतिक भाषा में सामान्य प्रयोग होता है। उधर भाजपा ने रामदेव के बचाव में उतरते हुए कहा कि वह एक ‘संत’ हैं और उनके शब्दों को उसी परिप्रेक्ष्य में देखना चाहिए, जिस परिप्रेक्ष्य में वे कहे गए हैं और इसे कांग्रेस नेताओं की धारणा के मुताबिक नहीं देखा जाना चाहिए। लेकिन यह बहुत ही बेतुका और भोंडा तर्क है कि जो बात आपके पक्ष में हो और जाहे कितनी मर्यादा हींन हो वह तो स्वीकार्य अन्यथा मान्य नहीं यह कैसी राजनीती है ? क्या इसी लोकतंत्र के लिए अनेकों शहीदों ने अपने प्राण इस देश की आजादी को पाने के लिए न्योछावर किये थे शर्म आती है आज के ऐसे नेताओं पर और उनके चाटुकारों पर अब वह चाहे वह किसी भी पार्टी या दाल का हो सब की निंदा कि जानी चाहिए \
लगता है कि अब बाबा राम देव के अंदर का वह बालक राम किशन यादव जिसने अभाव के चलते संन्यास ले लिया अब संम्पन होने के बाद उसके अंदर का भी काम देव जग ही गया है तभी तो वह ऐसे बेतुके बोल बोल कर अपने मन की दशा को दर्शाने की कोशिस कर रहे है इसलिए हम तो समझते है अब समय आ ही गया है कि ऐसी अभद्र डिप्प्णी और बात कहने वाले व्यक्ति को चाहे वह सन्यासी ही क्यों न हो तुरंत ही गिरफ्तार करके कड़ी सजा दी जानी चाहिए और साथ ही संत समाज को ऐसे बहरूपिये पाखंडी को संत समाज से बहिस्कृत करना ही चाहिए ? एस पी सिंह, मेरठ।
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