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हिंदी दैनिक जागरण समाचार के अनुसार भारत सरकार ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय में शपथ पत्र देकर यह स्पष्ट किया है कि ” तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल वी के सिंह, द्वारा उस समय के ले. जनरल (सेना उप प्रमुख ) श्री सुहाग पर की गई अनुशासनात्मक कार्यवाही अवैध थी ” इससे यह निश्चित ही स्थापित होता है कि जनरल वी के सिंह (रिटायर्ड) जो वर्तमान में केंद्रीय राज्य मंत्री है उनको तुरंत ही मंत्री मंडल से बर्खास्त किया जान चाहिए क्योंकि जिस व्यक्ति ने सेना प्रमुख होते हुए अपने अधीनस्थों को प्रताड़ित करने के कार्य किये हों और आज भी लगातार अपने ट्वीट के द्वारा अपने किये कुकर्म को सही ठहराने के लिए प्रत्यनशील हों ? इतना ही नहीं यह वी. के. सिंह वही सेना प्रमुख है जिन्होंने अपने सेवानिवृत्ति से एक वर्ष पर अपनी उम्र बढ़वाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के द्वार तक दस्तक दी थी लेकिन सर्वोच्च न्यायालय की फटकार खाने के बाद याचिका वापस ले ली थी – इतना ही नहीं अपनी सेवा निवृत्ति से पहले आयु विवाद के चलते एक दिन रात के अँधेरे में भारतीय सेना की दो टुकड़ियों को दिल्ली कूंच के आदेश दिए थे जो की तत्कालीन रक्षा सचिव के हस्तक्षेप के कारण आधे रस्ते से ही वापस अपने बैरकों में वापस हो गए थे इन सब के पीछे जनरल साहेब की क्या मंशा थी वही जाने – लेकिन ऐसे असंतुलित व्यहार के व्यक्ति की जगह निश्चित ही केंद्रीय मंत्रिमंडल में तो नहीं हो सकती क्योंकि जिन खामियों के आधार पर जनरल सिंह ने उपसेना प्रमुख श्री दलबीर सिंह सुहाग के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की थी , केंद्र की वर्तमान मोदी सरकार ने उसे सुर्नियोजित, संदिग्घ एवं अवैध करार दिया है? देश के नए रक्षा मंत्री ने संसद में घोषणा की है कि देश के अगले सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग ही होंगे इस परिपेक्ष्य में श्री वी के सिंह जैसे विवादित व्यक्ति, केंद्रीय मंत्रिमंडल में किस प्रकार से शामिल हो सकता है ? इस लिए पहले तो उन्हें स्वयं ही नैतिकता के आधार पर त्याग पत्र देदेना चाहिए अन्यथा सुशासन की दुहाई देने वाले श्री मोदी को उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर देना होगा यही सच्चे लोकतंत्र का आधार है – एस० पी० सिंह, मेरठ
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