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जनरल (रिटायर्ड) शर्मिंदा होंगे या बेशर्म ही बने रहेंगे ?

पाठक नामा -
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स्वतंत्र भारत के इतिहास में यूँ तो सशत्र सेनाओं के काम काज और उसके अंदर व्याप्त भष्टाचार के समाचार यदा कदा बाहर आ ही जाते है लेकिन लेकिन कुछ मुख्य घटनाएं है जो शीर्ष स्तर हुए घटना क्रमों को इतिहास भी अपने अंदर अधिक दिनों तक बंद करके नहीं रख सकता क्योंकि अब वह अनहोनी घटनाएं इतिहास के पन्नो को फाड़ कर बाहर निकलने को बेचैन होने लगी है इस लिए उनको उजागर करने के लिए कोई संकोच नहीं होना चाहिए ?
पहली घटना :
१९६२ की है जब हमारे पडोसी चीन ने हिंदी चीनी भाई भाई के नारे के साथ अपनीफ़ौज पी एल ए (पब्लिक लिब्रेशन आर्मी ) को हमारी सीमाओं में भेज दिया और भारतीय सैनिकों मार मार लाशे बिछा दीं ?इसी बीच उस समय के प्रधान मंत्री स्व. श्री जवाहर लाल नेहरू ने लेफ्टिनेंट जनरल बी एम कौल, को सेना प्रमुख नियुक्त करवाया था लेकिन यह जनरल मोर्चे पर जाकर लड़ने के स्थान पर दिल्ली में बिमारी के कारण अस्पताल में भर्ती हो गए और लड़ने गए ही नहीं.
दूसरी घटना :
NDA नीत सरकार में जब जार्ज फर्नाडिस , रक्षा मंत्री थे तो उस समय के नौ सेना प्रमुख, मिस्टर भागवत, को अपनी जिद के कारण बर्खास्त कर दिया था !
क्योंकि जिस समय भागवत बॉम्बे डाक यार्ड में इंचार्ज थे और फर्नांडिस एक लेबर लीडर हुआ करते थे तो उस समय उनमें आपस में मनमुटाव हो गया था ? और जब वह रक्षा मंत्री बने तो उन्होंने अपने मन की भड़ास निकाल ही ली ?
तीसरी घटना :
तीसरी घटना सबसे ताज़ी है और लोगों के जहन में भी है वह है अपने जनरल वी. के .सिंह, (सेवा निवृत) से सम्बधित : यो तो जनरल वी. के. सिंह जब से जनरल बने थे अपने व्यक्ततव्यों के कारण हमेशा विवाद में ही रहे ! विवाद और जनरल का चोली दामन का साथ जो है चाहे चाहे जन्म तिथि का विावद करके सरकार से सही करने के लिए कहना सरकार के द्वारा उनकी प्रार्थना स्वीकार नहीं किये जाने पर वह सर्वोच्च न्यायालय पहुँच गए और फिर वहां से फटकार पड़ने पर अपनी याचिका वापस ले कर अपनी साख को बट्टा लगाया ही फ़ौज के अनुशासन को भी कलंकित किया इतना ही नहीं अपने से नीचे के अधिकारियों को पड़ताड़ित करने के कोई मौके नहीं छोड़े, उनके समय का एक ताजा मामला सामने आया है कि उन्होंने किस प्रकार लेफ्टिनेंट जनरल पी० के ० रथ को किस प्रकार अपमानित किया अब जब फ़ौज के सर्वोच्च ट्रिब्यूनल ने जनरल रथ को निर्दोष करार दिया तथा उनके रोके गए सभी लाभो को १२ प्रतिशत ब्याज के साथ भुगतान करने के आदेश भी दिए, है और जनरल सिंह पर ऊँगली भी उठाई है तो जनरल सिंह शर्मिंदा होने के बजाय ढीठता पूर्वक कहते है कि उनके खिलाफ शाजिस की जा रही है ? क्या देश हित में वह यह बतायंगे कि कौन उनके खिलास शाजिश रच रहा है और क्यों ? लेकिन जब वह जनरल रहते हुए अपने जूनियर्स के विरुद्ध शाजिश रचते रहे और अपमानित करते रहे उसका जवाब भी देना चाहिए, वर्तमान जनरल सुहाग के विषय में उन्होंने भरसक प्रयास किया कि वह किसी भी प्रकार अगले सेना प्रमुख न बन पाये ? इस लिए उनको यह बताना चाहिए के वह किसके इशारे पर अपने लोगो के विरुद्ध शाजिश करते रहे थे ? इसलिए जीरो टालरेंस की बात करने वाले उनके प्रधान मंत्री कब तक ऐसे विवादित व्यक्ति को टॉलरेट करते है यह तो समय बतएगा ? लेकिन ऐसे विवादित व्यक्ति से देश को कब छुटकारा मिलेगा यह बात तो मोदी जी को देश को बतानी ही होगी ?

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