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यूँ तो पिछले 26 वर्षों से पकिस्तान अपनी बदमाशियों से बाज ही नहीं आ रहा है और इन 26 वर्षो में कुछ सरकारी आंकड़ो के अनुसार 48 हजार से अधिक जाने गवां चुके है लोग जिसमे से 22 हजार भारतीय (फौजी और सिविलियन) तथा 26 हजार पाकिस्तानी फौजी और घुसपैठिये थे ! बार्डर पर पकिस्तान द्वारा घुसपैठ की घटनाओं और गोलीबारी में जो भी मरता है वह इंसान होता है चाहे सीमा के इस ओर का हो या उस ओर का । लेकिन यह बात न तो पाकिस्तान के हुक्मरानो को समझ में आती है और न पकिस्तान के नागरिकों के समझ में आती है ? उनका केवल एक ही राग है जिहाद ! जबकि पकिस्तान घोषित युद्ध में 1947 , 1965, और 1971 तथा 1999 में बहुत ही बुरी तरह मात खा चूका है
1947
1947. में स्वतंत्रता के तुरंत। बाद जहाँ भारत के उप प्रधान मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की सूझ बूझ और प्रशासनिक क्षमता के कारण लगभग 565 देशी रिसायतों को भारत गणराज्य में संघठित करके बृहत् भारत की नीव राखी जबकि अंग्रेजो के द्वारा सभी देशी रियासतों को आजाद कर दिया था । लेकिन जम्मू कश्मीर के तत्कालीन शासक हरि सिंह कुछ आनाकानी पर उतारआये तो पकिस्तान ने मौका देख कर जम्मू कश्मीर में हमला किया और उसी समय राजा हरि सिंह ने भारत के साथ विलय का प्रस्ताव किया और भारत ने इसे स्वीकार करके अपनी फौजों को को कश्मीर भेजा । लेकिन संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप के कारण युद्ध विराम को स्वीकार करना पड़ा था और पाकिस्तान जहाँ तक कश्मीर में घुश आया था वह हिस्सा आज तक उसके कब्जे में है । जो ह्माते लिए आज भी नासूर बना हुआ है।
1965 (भारत लाहोर तक घुसा)
1965 में पकिस्तान ने एक बार फिर हिमाकत की और उस समय के प्रधान मंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री ने भी अपने सन्देश में फौजों से कह दिया की पकिस्तान को ईंट का जवाब पत्थर दे दिया जाय । फिर तो जो दुर्गति होनी थी पकिस्तान उसको आज तक नहीं भूल पाया है ! पाकिस्तन ने हमारे कईशहरों पर हवाई हमले किये तो हमारे छोटे से नेट विमान ने अमेरिकी साइबर जेट विमान जो पकिस्तान को अमेरिका से दान में मिले थे उनकी वो दुर्गति की पकिस्तान तो पकिस्तान अमेरिका भी बौखला गस्य था ! हमारे जांबाज पायलटों ने हवा में ही करतब दिखाते हुए सेबरजेट विमानों के चीथड़े उडा दिए थे । दूसरी ओर मैदानी लड़ाई में भी अमेरिका से दान में मिले पैटन टैंको को को इस प्रकार नष्ट किया की पैटन का कब्रिस्तान बना दिया था 93 टैंक या तो नष्ट कर दिए गए थे या पाकिस्तानियो से छीन लिए थे । लाहोर तक हमारी फौजों ने कब्ज़ा कर लिया उधर पाकिस्तान ने भी कश्मीर में कुछ बढ़त बनाई थी । लेकिन जैस आमतौर पर होता है युद्ध तो फौजें जीतती है परंतु नेता लोग उसको समझौते की मेज पर हार जाते है ? इसमें भी ऐसा ही हुआ विश्व दबाव मेंभारत ने रूस के तास्कन्द में पाकिस्तान से समझौता किया और रात में ही हमारे सबसे लोकप्रिय प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री की संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हो गई 10 जनवरी 1966 को ?
1971 (पकिस्तान के दो हिस्से हुए )
1971 पकिस्तान अपने ही कुकर्मो के कारण अपने एक भूभाग से हाथ धो बैठा ! हुआ यूँ कि पकिस्तान में 1971 में आम चुनाव हुए तो उसमे पूर्वी पकिस्तान (अब बंगला देश ) की अवामी पार्टी को बहुमत मिल गया लेकिन इस्लामाबाद में बैठे फौजी जनरलों और सिसयतदानो को बंगाली पृष्ठभूमि के लोगो को सत्ता सौपना गवारा न था इस लिए शेख मुजीबुर्रहमान जब इस्लामाबाद पहुंचे तो वहां उन्हें प्रधान मंत्री तो बनाना तो दूर उलटे गिरफ्तार कर लिया गया ! फिर तो पाकिस्तान ने अपने भाइयों पर जुल्म ढहाना शुरू कर दिया और बंगाली मुस्लिम समुदाय भाग कर हमारे पश्चिमी बंगाल आने आरम्भ हो लाखो लोगो ने भारत में शरण ली और अस्थाई सरकार बंगला देश की स्थापना तथा मुक्तिवाहिनी के रूप में सशस्त्र संघर्ष जारी रखा । बौखलाए हुए पकिस्तान अपने लोगो को तो एक साथ रख नहीं सका उलटे 3 दिसम्बर को भारत के कुछ शहरो पर हवाई हमले कर दिए ! उस समय की प्रधान मंत्री श्रीमतीइंदिरा गांधी ने भी मुहतोड़ जवाब देते हुए युद्ध का ऐलान कर दिया एक और पश्चिमी पकिस्तान पर युद्ध लड़ा जा रहा था तो दूसरी ओर पूर्वी पकिस्तान पर भारत ने बढ़त बनाते हुए पकिस्तान केलगभग 95 हजार सैनिक और सिविल अधिकारीयों को बंधक बनाया और जनरल ए ए के नियाजी ने लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोरा के समक्ष 16 दिसंबर 1971 को अपने 90 हजार फौजियों के साथ आत्म समर्पण किया जो दुनिया में पहली ऐतिहासिक घटना है ? और इस प्रकार से दुनिया में एक नए देश बंगला देश का उदय हुआ । और 90 हजार पाकिस्तानियो को बिरयानी ही नहीं भेड़ और बकरे भी दवात में दिए गए थे और वर्षो उनको खुली जेल में रखा गया और फिर वही कहानी दोहराई गई पाकिस्तानी प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो के साथ भारतीय प्रधान मंत्री श्रीममति इंदिरा गांधी ने शिमला में एक समझौते पर हस्ताक्षर किये और 90 हजार सैनिको सहित लाहौर का का कुछ भाग फिर से पकिस्तान को वापस दे दिया ? अब यह कहना तो बेमानी ही होगा कि क्या पकिस्तान में कोई सरकार है कि नहीं है ! सरकार है लेकिन सरकार चाहे सिविल सरकार हो या फिर फौजी जनरलों द्वारा हथियाई गई सरकार हो सब का एक ही उद्देश्य होता है युद्ध जिसका कारण है पकिस्तान का हर व्यक्ति भारत को अपना दुश्मन समझता है?
1999
वैसे तो भारत पाक सीमा इतनी लंबी और बेतरतीब है की उसकी रखवाली करना बहुत ही कठिन कार्य है लेकिन हमारी फौजे लगातार विषम परिस्थितियों में सुरक्षा के लिए मुस्तैद रहती है ।लेकिन फिर भी पकिस्तान की ओर से लगभग हर रोज घुसपैठ की घटना के साथ गोली बारी ही नहीं रॉकेट लांचर से हमले किये जाते है जिससे सिमा से लगे गाँवों में दहसत पसरी रहती है खेतो सहित घरों तक में इस गोली बारी से लोग घायल हो कर मर रहे है । फिर दक्षिण पंथी पार्टी जब सत्ता में आई तो प्रधान मंत्री अटल बिहारी बाजपाई ने अपने पडोसी से मित्रवत सम्बन्ध बनाने की खातिर जब दिल्ली से लेकर बाघा बॉडर तक बस से यात्रा की और अपने साथ बस में बहुत से विख्यात हस्तियों को भी लेकर गए थे ! लेकिन उसके तुरंत बाद ही नवाज शरीफ ने अपनी सारी सराफत ही छोड़ दी और फौजी जनरल मियां मुसर्रफ की अगुआई में कारगिल की दुर्गम सीमा चौकियों पर कब्ज़ा कर लिया जिनको भारतीय सुरक्षा बल सर्दियों खाली। करके निचे चले आते थे ? चूँकि यह एक अलिखित समझौता था दोनों देशो में की सर्दियों में दुर्गम चौकियों को खली कर देते थे और फिर गर्मियों में अपने अपने स्थानों पर आ जाते थे ?
फिर शुरू हुआ एक अघोषित कारगिल का युद्ध जिसमे न समझ में आने वाली भारतीय प्रधान मंत्री द्वारा सिमित युद्ध की परिकल्पना जिसमे हजारों सैनिक घायल हुए और चार सौ से अधिक सैनिक मारे गए आखिर में वही हुआ जो होना था जब भारतीय फौजो ने एक ओर हवाई हमले किये तो दूसरीओर पैदल सेना ने। कब्जाई हुयी चौकियों फिर से अपने कब्जे में ले ली
चार चार युद्ध में पिटने और मार खाने कके बाद भी अगर पाकिस्तान की अकड़ अगर नहीं खत्म नहीं हो रही है तो कुछ तो खास बात है शायद वह जनता है कि मुस्लिम देश उसकी सहायता करेंगे वहीं उसका चीन दोस्त है ही जिसको उसने pok में गिलगित में एक बहुत बड़ा भूभाग दे दिया है ! फिर अमेरिका भी उसका एक सप्लायर देश है । जो उसकी सहायता को तत्पर रहते है !
लेकिन यह एक ध्यान देने वाली बात है की जब भी भारतीय जनता पार्टी की केंद्र में सरकार बनती है पकिस्तान की ओर से सीमा पर घुसपैठ और गोलीबारी की घटनाये अप्रत्याशित रूप से बढ़ जाती है और यहां तक की आतंकवादी संसद भवन तक भी पहुँच ही गए थे । अब जबसे नरेंद्र मोदी प्रधान मंत्री बने है लाख कोशिस के बाद भी वह पकिस्तान से सम्बन्ध सामान्य नहीं बना पाये है ! चाहे जम्मू कश्मीर में आतंकवादी वारदातें हो या फिर सीमा पर सीजफायर का उलंघन आशा के विपरीत घटनाये बढ़ी है ।और लाख कोशिसों के बाद भी रोकने में सफलता नहीं मिल पा रही है ? इसका सबसे बड़ा कारण तो एक हो सकता है कि या तो पकिस्तान यह समझता है कि दक्षिण पंथी पार्टी जो मुस्लिम विरोधी मानी जाती है उस पर दबाव बनाने के लिए ऐसी घटनाये। कर रहा है या फिर ऐसा दर्शाना चाहता है की वह भारत से डरता नहीं है ?
एस. पी. सिँह। मेरठ
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