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चुनावी मौसम जैसे ही आरम्भ होता है राजनितिक प्राणी भी बरसाती प्राणियो के समान टर्राना आरम्भ कर ही देते है ? सुप्त निद्रा से निकल ठंडी सुहानी बरखा की फुहारों के बीच जोड़े भी बनातेहै ? लेकिन राजनितिक बरसाती प्राणी। की सारी शक्ति अपनी अपने परिवार और पार्टी की खाल बचाने में ही लगती है? वैसे भी अगर कुएं में रहने वाले प्राणी कुएं में ही रहें तो अधिक सुरक्षित और संरक्षित रहते है स्वभाव के अनुसार ऐसा होता नहीं ! कुएं के प्राणी को जैसे ही खुला आसमान दिखाई देता है वह बहुत उत्साहित हो जाता है और फिर अतिउत्साह के परिणाम स्वरुप जो होता है फिर उसे कौन रोक सकता है ?
अब बिहार को ही देखो जहां उत्तर प्रदेश के पहलवानी अखाड़ेके नामी उस्ताद को बिहारी समाजवादियों ने यूनिफाइड कमांड का मुखिया बना दिया था लेकिन शुद्ध मिटटी के अखाड़े के पहलवान को शायद आधुनिक मैट्रेस (गद्दे) पर कुश्ती लड़नी नहीं आती ? आये भी कैसे पहलवान जी का तजुर्बा और रिकार्ड भी तो है की वे उत्तर प्रदेस की मिटटी और परिवार के बिना कुश्ती लड़ ही नहीं सकते अब कोई विश्व चैम्पियन तो बनना नहीं है ले देकर अधिक से अधिक देहली के दंगल में दांव आजमाने थे लेकिन दिल्ली के दंगल का फैसला पहले ही चुका है और दिल्ली पर कब्ज़ा जमाये हुए पहलवान ने पहले ही घोषणा कर दी है कि उसका इरादा अगले 20- 25 वर्ष तक दिल्ली के दंगल में किसी के भी दखल को नहीं होने देगा ? क्योंकि वह अपने मन और इरादे के पहुत पक्के हैं ! लेकिन अपने दिल्ली वाले पहलवान जी के मन में पता नहीं क्या क्या आता रहता है जबकि यह वह दोनों हाथों की दसों ऊँगली मुँह में देकर अपने मन की बात हर महीने उगलते रहते है पर उनका मन है की मानता ही नहीं ? लेकिन जबसे दिल्ली वाले पहलवान जी ने अपने यू पी वाले पहलवान जी की तारीफ क्या करदी पहलवान जी ने अपना खूंटी पर टंगा हुआ लंगर फिर से पहन कर ताल ठोकनी आरम्भ कर दी हैं ?
तो फिर अपने यु पी के पहलवान काहे को साइकल पर सवार हो कर बिहारी दंगल में लंगर घुमाने जा रहे है ? कही ऐसा तो नहीं दिल्ली वाले पहलवान जी ने अपने यू पी वाले पहलवान जी के प्राण पिंजरे वाले तोते में कैद कर रखे हो ! क्योंकि यह दिल्ली का दंगल जो भी जीत लेता है एक चमत्कारी तोता उसके हाथ लग जाता है ? तोता रहता तो पिंजरे में परंतु वह अपने चमत्कारी गुणों के कारण बहुत से पहलवानो के प्राण ही अपने कब्जे में कर लेता है ? यही कारण है की दिल्ली के अखाड़े का पहलवान निर्बाध रूप से अपनी अगली पराजय तक अपना चैंपियन का खिताब बरक़रार रखने में कामयाब रहता है ? और कोई भी बड़े से बड़ा पहलवान उसको चुनौती नहीं दे पाता अगर कोई कोसिस भी करता है, तो तोता तो है ही गर्दन मरोड़ने के लिए ? अब अगर अपनी घोषणा के अनुसार यू पी वाले पहलवान जी। बिहार के दंगल में भाग लेते है तो एक बात तो निश्चित जान लो कि इसमें कुछ न कुछ भूमिका चात्माकारी तोते की जरूर होगी ?
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