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यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत ! अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानम सृज्याहम !!

पाठक नामा -
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भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त , आदरणीय कुरैशी जी का शेखर गुप्ता के साथ एक साक्षात्कार “walk to talk” देखने को मिला , कुरैशी साहेब बेबाक कहते है कि evm में किसी भी प्रकार से गडबड़ी नहीं की जा सकती है , इस लिए अब किसी भी जाँच कि जरुरत नहीं है ? इनकी मज़बूरी हम समझ सकते है की अगर मस्जिद में रहना है तो अल्ला अल्ला तो कहना ही पड़ेगा क्योंकि चुनाव आयुक्त का सम्मानित पद जब किसी सेवा निवृत अधिकारी को मिलता है तो वह किसी अनुग्रह से काम नहीं होता नाम मात्र की स्वायतता है बाकि आयोगों के सामान ही चुनाव आयोग को सरकारी फंड पर ही निर्भर राहना होता है । किसी भी मामले में एक्टिव एक्शन लेना चुनाव आयोगके पास कोई अधिकार है ही नहीं कुछ अधिकार केवल आचार सहिंता के समय होते है जो चुनाव समाप्त होने पर स्वतः ही समाप्त हो जाते है ?सवाल जो सबसे बडा है वह यह है की सरकार बड़ी है की चुनाव आयोग बड़ा है यह माननीय उच्चतम न्यायालय बड़ा है , क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी किं याचिका पर 2013 में यह अआदेश दे दिया था की आगे से चरणबद्ध तरीके से EVM वोटिंग मशीन के साथ एक VVPAT उपकरण और लगाया जाय जिसकी अधिसूचना भी तत्कालीन सरकार द्वारा 2013 में ही गजट में प्रकाशित कर दी गई थी ? इस लिए यह चुनाव आयोग और चुनाव आयुक्त का दायित्व बनता है की लोकतंत्र में विश्वास स्थापित करने के लिए VVPAT युक्त EVM मशीनों का उपयोग आगामी चुनावो में करने को सुनिश्चित करे ? क्योंकि देश के एक बहुत जाने माने साइबर एक्सपर्ट पवन दुग्गल ने भी कहा है कि बीवो कोई सी भी मशीन जो कम्प्यूटर की तरह या जिसका बेस ही कम्प्यूटर पर आधारित कभी भी और कहीं भी हैक की जा सकती है इसलिये गड़बड़ी की आशंका 100 प्रतिशत है ? हम आधुनिक लोकतांत्रिक भारत में रहते है जहाँ एक संविधान भी है जिसके द्वारा हम अपने शासक को चुनते है किसी राजा का चुनाव नहीं करते है ? इसलिए अगर लोकतान्त्रिक तरीके पर किसी को शंका है तो उसका निराकरण भी जरुरी है ? चुनाव आयोग की भूमिका भी आज गिता मे वर्णित श्री कृष्ण जैसी ही है जब वह कहते है
यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत ! अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानम सृज्याहम !!
क्योंकि श्री कृष्ण का पुनर्जन्म संभव ही नहीं है इसलिए हम आशा कर सकते की इस लोकतंत्र को सुरक्षित रखने में चुनाव आयोग भी कृष्ण जैसी भूमिका निबाह सकता है ?

एस पी सिंह, मेरठ

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